Home विपक्ष विशेष सांझी विरासत सम्मेलन में राहुल गांधी के पांच झूठ

सांझी विरासत सम्मेलन में राहुल गांधी के पांच झूठ

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दिल्ली में आज जनता के नकारे हुए कई नेताओं की महफिल सजी। राहुल गांधी, फारुख अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी, शरद यादव सरीखे नेता जमा हुए। सबने अपने एजेंडे के तहत सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी पर हमला बोला, लेकिन इस दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सबसे ज्यादा फजीहत हुई। एक दिन पहले ही बैंगलुरू में अपने भाषण से मजाक का पात्र बन चुके राहुल गांधी ने झूठ की बौछार कर दी। performindia.com की टीम ने उनके भाषण का पोस्टमॉर्टम किया और हमने पाया कि उन्होंने इस दौरान पांच झूठ बोले। 

1. दो करोड़ लोगों को नौकरी
राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने वादा किया था कि दो करोड़ लोगों को नौकरियां देंगे। इस संबंध में जब संसद में उनके मंत्री से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पिछले साल एक लाख लोगों को रोजगार दिया। इस साल तो मोदी सरकार की हालत और भी खराब है, रोजगार देने के बजाय रोजगार के अवसर घटा दिए।

तथ्य
देश में बेरोजगारी दूर करने के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने कभी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे युवाओं के लिए नौकरी पाने का एक स्थायी रास्ता तैयार हो। मोदी सरकार उसी स्थायी समाधान के लक्ष्य को पाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के युवाओं को job seeker के बजाय job creator बनाने के लिए योजनाओं को लागू कर रहे हैं। जो कि आज तक 70 सालों में नहीं हो सका। आइये देखते हैं प्रधानमंत्री की इस सोच के साथ उनकी सरकार रोजगार के मोर्चे पर कौन-कौन से बड़े कदम उठा चुकी है:

मुद्रा योजना
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लघु-मंझोले कारोबार के क्षेत्र में अब तक करीब 4.5 करोड़ लोग लाभान्वित हो चुके हैं। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने इस योजना का फायदा उठाते हुए अपने कारोबार की शुरुआत की। सब्जी विक्रेता, सैलून और खोमचे वालों को भी इस योजना के तहत मामूली ब्याज दरों पर ऋण दिए जाते हैं। इससे रोजगार सृजन करने और देने वालों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।

स्किल डेवलपमेंट
देश में पहली बार मोदी सरकार ने ही स्किल डेवलपमेंट यानी कौशल विकास को लेकर एक समग्र और राष्ट्रीय नीति तैयार की। इसके तहत अब तक 56 लाख से ज्यादा युवा प्रशिक्षित किये जा चुके हैं जिनमें से करीब 24 लाख अपने हुनर से जुड़े क्षेत्र में रोजगार पा चुके हैं।

सरकार की योजनाओं से रोजगार के नये द्वार
इतना ही नहीं मोदी सरकार की पहल से ऐसे ढेर सारे और काम भी चल रहे हैं, जिनके चलते रोजगार के अवसरों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। सड़क, आवास, रेल, परिवहन, कृषि क्षेत्र की तमाम योजनाओं ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाया ही नहीं है, बल्कि उसे लाभप्रद भी बनाया है। 2016-17 में देश में शुरू होने वाले औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में 29% की बढ़ोतरी हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार के कितने सारे मौके निकल रहे हैं।

युवाओं को भा रहा है नौकरी सृजन का आइडिया  
मोदी सरकार रोजगार को लेकर कांग्रेस शासन में दिखी घिसी-पिटी सोच से अलग और आधुनिक ढर्रे पर काम कर रही है। वो सिर्फ रोजगार के लिए रोजगार पैदा करने की खानापूर्ति पर काम नहीं कर रही, बल्कि एक ऐसा वातावरण बना रही है जिससे रोजगार पाने वाले और रोजगार पैदा करने वाले दोनों का विकास हो। सरकार ने एक करोड़ रोजगार मुहैया कराने का वादा किया था, लेकिन स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप इंडिया जैसे कदम बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस लक्ष्य से भी कहीं ऊपर का आंकड़ा हासिल किया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि सरकार की नई नीतियों के बाद देश में पहली बार ऐसा माहौल बना है कि jobseekers भी job creators बनना चाहते हैं।   

अगले 5 साल में रोजगार की बौछार
युवाओं को रोजगार और उद्योगों को रोजगार सृजन के काबिल बनाने की दिशा में मोदी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, जल्दी ही जमीन पर उसके परिणाम देखने को मिलेंगे। अकेले आईटी सेक्टर में 25 से तीस लाख नौकरियां पैदा होने वाली हैं। सिर्फ 2017 में 1 लाख 70 हजार नौकरियों के अवसर बनते दिख रहे हैं। पिछले तीन साल में आईटी सेक्टर ने 6 लाख नौजवानों को नौकरी दी है। अभी इस सेक्टर में 39 लाख लोग रोजगार से जुड़े हैं। आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट और रिटेल समेत देश के कम से कम 24 सेक्टरों में आने वाले पांच सालों में करीब 12 करोड़ स्किल्ड कामगारों की आवश्यकता होगी, जहां सरकार की योजनाओं के तहत प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसर होंगे। 

2. मेक इन इंडिया
राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी हर जगह ‘मेक इन इंडिया’ की बात करते हैं, लेकिन आप जहां भी जाएं आपको ‘मेड इन चाइना’ दिखेगा। वे इस झूठ को छुपा रहे हैं कि मेक इंडिया पूरी तरह फ्लॉप हो चुका है।

तथ्य
जाने- अनजाने में राहुल गांधी अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं। आज अगर मेड इन चाइना दिख रहा है तो उन्हीं की सरकारों के पॉलिसी पैरालिसिस का नतीजा है, जिसे पीएम मोदी दूर रहे हैं। पीएम मोदी ने आज देश को ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है जिससे भारत विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। दुनिया भर की तमाम बड़ी कंपनियां भारत की ओर रुख कर रही है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद मेक इन इंडिया कार्यक्रम के चलते डिफेंस, फार्मा, ऑटो से लेकर मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां भारत आ रही है। पिछले तीन साल में भारत ने विदेशी निवेश और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। मेक इन इंडिया, ईज ऑफ डुईंग बिजनेस के बाद जीएसटी से आकर्षित होकर निवेशक भारत आ रहे हैं। विदेशी निवेश के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। 2015 में जहां भारत को 63 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मिला था वहीं चीन को मात्र 56 बिलियन डॉलर मिला।

अब तो चीन ने भी मान लिया है कि उसे पछाड़ कर भारत मैन्यूफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत विदेशी कंपनियों के लिए खूब आकर्षण बन रहा है। अखबार ने एक लेख में कहा है कि कम लागत में उत्पादन धीरे-धीरे चीन से हट रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश और उत्पादन पर जोर दे रहे हैं। उनकी इस मुहिम में देश-विदेश की नामी-गिरामी कंपनियां जुड़ती चली जा रही हैं। अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन भारत में एफ-16 विमान बनाना चाहती है। मेक इन इंडिया के तहत ही रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने भारत के लिए दो युद्धपोत बनाए थे।

3. अकाउंट में 15 लाख की बात
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी के बैंक खाते में 15-15 लाख रुपये भेजने का वादा किया था, जो अब तक नहीं आए।

तथ्य
राहुल गांधी ने यहां तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की है। आइए जानते हैं कि सच्चाई क्या है? श्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय छत्तीसगढ़ के कांकेर में 15 लाख रुपये और कालाधन के बारे में जो बातें कही थीं उसे हम हू-ब-हू यहां रख रहे हैं।

‘मेरे कांकेर के भाइयों बहनों मुझे बताइए…कि हमारी चोरी किया हुआ पैसा वापस आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए?…ये काला धन वापस आना चाहिए, ये चोर लुटेरों से एक-एक रुपया वापस लेना चाहिए..इस रुपयों पर जनता का अधिकार है कि नहीं है?…ये रुपया जनता के काम आना चाहिए …’

बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी ने कालाधन पर गरीब जनता का हक बताया था और कहा था कि इसका इस्तेमाल जनता के लिए होना चाहिए। इससे आगे नरेंद्र मोदी ने 15 नहीं, 15 से 20 लाख रुपये गरीबों को मिलने की बात कही थी। पता नहीं, क्यों विपक्ष 20 लाख क्यों नहीं कहता, वह 15 लाख ही क्यों कहता है? मगर, अकाउन्ट में डालेंगे ऐसा नरेन्द्र मोदी ने कभी नहीं कहा था। 

‘अरे, एक बार ये जो चोर लुटेरों के पैसे विदशी बैंकों में जमा हैं ना, इतने भी हम रुपये ले आएं ना , तो भी हिन्दुस्तान के एक-एक गरीब आदमी को मुफ्त में 15-20 लाख रुपये मिल ही जाएंगे। इतने रुपये हैं…’

आप ये बयान देख सकते हैं, मतलब भी समझ सकते हैं। 15-20 लाख रुपये एक-एक गरीब को मिलने की बात है मगर वह कालाधन की विशाल रकम और उसके महत्व को बताने के लिए है। कहीं ये नहीं कहा गया है कि गरीबों के अकाउन्ट में ये रकम दिए जाएंगे।

‘ये जनता के पैसे हैं, गरीब के पैसे हैं। हमारा किसान खेत में मजदूरी करता है। उससे निकला हुआ धन है… उस धन पर हिन्दुस्तान का अधिकार है। हिन्दुस्तान के कोटि-कोटि गरीबों का अधिकार है…और उनको ये धन मिलना चाहिए…ये हम संकल्प करते हैं…’

आप खुद भी सुन सकते हैं कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कालाधन को लेकर क्या कहा था-


किसी भी देश में मुफ्त में रुपये बांटने की व्यवस्था नहीं होती। कोई अर्थव्यवस्था इस आधार पर चल ही नहीं सकती। यही वजह है कि लोक-कल्याणकारी योजनाओं के जरिए गरीबों को मदद की जाती है। मुफ्त में सुविधाएं देकर उत्पादन के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है ताकि समाज का समग्र विकास हो सके। मोदी सरकार ने बढ़-चढ़ कर लोक-कल्याण की योजनाओं को परवान चढ़ाया है ताकि गरीबों को अधिकाधिक लााभ मिल सके।

4. विचारधारा की लड़ाई
राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस जानती है कि उनकी विचारधारा हिन्दुस्तान में नहीं जीत सकती, इसलिए आरएसएस देश के सभी संस्थानों में अपने लोगों को डाल रही है

तथ्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद सरकारी संस्थानों में निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्तियां की हैं। उन्होंने उस परंपरा को तोड़ा है…जिसमें भाई-भतीजावाद से लेकर मन मुताबिक विचारधारा के लोगों की नियुक्ति की कांग्रेसी परंपरा थी। कम से कम 60 वर्षों तक इस देश ने देखा कि किस तरह कई बार आवश्यक योग्यताओं की शर्तों को ताक पर रखकर किसी खास व्यक्ति को सिर्फ उस पार्टी की विचारधारा का हिमायती होने के कारण ही बड़ा पद दे दिया जाता था।

पहले खास विचारधारा को मिलती थी अहमियत
पिछले शासन के दौरान ऐसे चेहरों और नामों की कमी नहीं जिन्हें खास पद देने के पीछे उनकी योग्यताओं का मान करना कम, उनका कांग्रेस या लेफ्ट की विचारधारा से जुड़ा होना ज्यादा महत्वपूर्ण रहा। 

विचार के चलते इतिहास को भी तोड़ा-मरोड़ा गया था !
यही नहीं बीएचयू के वाइस चांसलर के रूप में जिन चेहरों की पिछली सरकारों के दौरान नियुक्ति हुई थी…उनका राजनीतिक झुकाव भी किसी से छुपा है क्या? एमएल धर हों या हरि नारायण, आरपी रस्तोगी हों या सीएस झा सब किसी ना किसी खास विचारधारा से जुड़े रहे थे। पिछली सरकारों में इतिहासकार डीएन झा या रोमिला थापर की विचारधार किसी से छिपी नहीं रही है। अपनी विचारधारा के चलते उनपर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर इतिहास लेखन के भी आरोप लग चुके हैं। 

5. राहुल और तिरंगा
सांझी विरासत कार्यक्रम में राहुल गांधी ने आरएसएस और मोदी सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा, तब तक तिरंगे को सलामी नहीं दी जब तक सत्ता में नहीं आए।

तथ्य
राहुल गांधी जिस वामपंथी विचारधारा के साथ खड़े होते हैं और उसे कांग्रेस की विचारधारा ही मानते हैं, उन वामपंथियों ने कभी अपनी पार्टी के भवन पर झंडा नहीं फहराया है। उनको तिरंगे से ज्यादा अपना लाल झंडा प्यारा है। यही नहीं इन वामपंथियों के लिए राष्ट्रनायक इस देश का कोई नेता नहीं हैं। इनके दफ्तर में दुनिया के वामपंथी विचारधारा के शीर्ष नेताओं की तस्वीरें लगी होती हैं। ये कभी गांधी, नेहरु और सरदार पटेल को अपना आदर्श नहीं मानते हैं।

कांग्रेस शुरू से ही भाजपा की विचारधारा को खोखला साबित करने के लिए विभाजनकारी झूठ को बढ़ावा देती रही है। सच तो यह है कि 23 जनवरी 2004 को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद से इस देश में जनता को अपने घरों और कार्यालय के भवनों पर तिरंगा लगाने की अनुमति मिली है। उसके बाद से आरएसएस भी अपने भवनों पर तिरंगा झंडा फहराती है और सलामी देती है।

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