कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों में चक्कर लगाते हैं और खुद को जनेऊधारी हिंदू बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। पूरी कांग्रेस पार्टी राहुल को हिंदू साबित करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। चुनाव के दौरान तो कांग्रेसी इसके लिए जमीन-आसमान एक देते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि माथे पर चंदन लगाकर मंदिरों में घूमना सिर्फ राहुल गांधी का दिखावा है। गुरुवार को राहुल गांधी दिल्ली में जब टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के साथ जब मीडिया से रूबरू थे, तब पत्रकारों ने उनसे राम मंदिर निर्माण को लेकर राय पूछी। इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने चुप्पी साध ली और थैंक्यू कह कर चल पड़े।
जाहिर है कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी ही राम मंदिर निर्माण में सबसे बड़ा रोड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता ही राम मंदिर के विरोध में दलीलें देते रहे हैं। यहां तक कि यूपीए शासन के दौरान इसी कांग्रेस पार्टी ने भगवान राम के अस्तिव पर भी सवाल उठा दिए थे। आगे आपको बताते हैं कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की इसी हिंदू विरोधी मानसिकता के बारे में। देखिए किस तरह हिंदू आस्था का मजाक उड़ाने में अपनी शान समझते हैं राहुल गांधी।-
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फिर किया हिंदू आस्था से खिलवाड़
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सिर्फ जनेऊधारी हिंदू होने का नाटक करते हैं, असल में उनकी हिंदू धर्म में कोई आस्था नहीं है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान जबलपुर में कांग्रेस पार्टी ने राहुल के शिव भक्त की तरह है नर्मदा भक्त होने का जमकर प्रचार किया। राहुल गांधी के लिए मां नर्मदा की आरती का भी आयोजन किया गया। पर यहां अपनी राजनीतिक चमकाने के लिए राहुल गांधी ने हिंदू आस्था का अपमान किया और मां नर्मदा की शाम को होने वाली आरती दोपहर में ही कर दी। दरअसल, राहुल गांधी को सिर्फ हिंदुओं को प्रभावित करने के लिए आरती का नाटक करना था, असर में तो उन्हें रोड शो करना था।
दोपहर में संध्या आरती ! हाँ, बिल्कुल. पार्टी अगर काँग्रेस हो और हिन्दू राहुल गाँधी हो, तो यह भी हो सकता है.
दरअसल इसी मेथड पर इस परिवार ने देश को लगातार ठगा है लेकिन आज सूचना क्रांति के इस एडवांस दौर में इनकी तरकीबें मिनटों में नाकामयाब हो जाती हैं. @BJP4India @naqvimukhtar pic.twitter.com/LN54vjXQDh
— VikashPreetamSinha (@VikashPreetam) 7 October 2018
दोपहर में मां नर्मदा की आरती कर राहुल गांधी ने फिर साबित कर दिया है कि उनकी हिंदू संस्कारों में कोई आस्था नहीं है। सोशल मीडिया पर राहुल की इस हरकत के लिए लोगों ने जमकर लताड़ लगाई है।
ढोंगी हिन्दु है नक़ली गांधी
— SANJEEV KUMAR (@sanjeevsg52) 7 October 2018
राहुल ऐसे तो नजर उतारी जाती है ।
— Ramesh Gehlot (@rkg093) 7 October 2018
राहुल गांधी क्यों हैं ‘फर्जी’ हिंदू , जानिये हकीकत
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। 17 सितंबर को भोपाल में कार्यकर्ता संवाद के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा सवाल करती हैं कि कार्यकर्ता आपके कैलास मानसरोवर यात्रा के संस्मरण जानना चाहते हैं। ये सुनते ही राहुल गांधी कुछ बोल ही नहीं पाए। ऐसा लगा जैसे वे कैलास यात्रा के बारे में कुछ जानते ही न हों। थोड़ी देर तो बगल में खड़े मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अवाक रह गए और एक दूसरे का मुंह देखने लगे। राहुल को चुप देख कर उन्होंने कुछ समझाने की भी कोशिश की, लेकिन इसी बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मोदी जिंदाबाद के नारे लगाने भी शुरू कर दिए।
काफी सोचने के बाद राहुल ने जो जवाब दिया वह भी काफी चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा, ‘’जो एक बार कैलास पर्वत और मानसरोवर चला जाता है वापस आने पर सब-कुछ बदल जाता है। सोच बदल जाती है और गहराई आ जाती है।‘’ जाहिर है राहुल के जवाब में उनका ‘झूठ’ छिपा हुआ है क्योंकि यात्रा वे यात्रा के संस्मरण बता ही नहीं पाए।
एक महिला ने राहुल गांधी जी से भोपाल रैली में पूछा कि आप अपनी कैलाश यात्रा के बारे कुछ अनुभव कार्यकर्ताओं के साथ साझा करे,
ये सुनते ही राहुल जी कुछ बोल ही नही पाये तबतक जनता ने मोदी जी जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिये ??
मतलब ये यात्रा पे गये ही नही थे ?? pic.twitter.com/OEQr20NlpE— Sumit Katiyar (@iSKatiyar) September 17, 2018
See and hear for yourself! pic.twitter.com/ABXSRf3e03
— M.J. Akbar (@mjakbar) September 18, 2018
“Jo Kailash…,jo parvat hai…huh…jo Maansarovar hai….” Kamaal hai Rahul Gandhi. Who talks like that? You have plastered posters in MP which address you as ‘SHIV BHAKT RAHUL GANDHI’ – But you haw & hum, stammer, have to think so hard to talk abt a yatra you made? Or did you? https://t.co/mGEVfAiLE3
— Seema Trivedi (@SeemaTrivedi6) September 18, 2018
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने दावा किया था कि वे 31 अगस्त से 9 सितंबर के बीच कैलास मानसरोवर यात्रा पर गए थे। यात्रा शुरू करने से पहले नेपाल में सूअर और चिकेन कुरकुरे खाने को लेकर भी काफी विवाद हो चुका है। इतना ही नहीं लोग यह भी जानना चाहते हैं कि जिस कैलास मानसरोवर की यात्रा में कम से कम 21 दिन लगते हैं, कांग्रेस अध्यक्ष ने 9 दिनों में ही अपनी यात्रा कैसे पूरी कर ली?
दरअसल खुद को हिंदू साबित करने के चक्कर में कांग्रेस अध्यक्ष फंसते जा रहे हैं। क्योंकि वे न तो सनातन धर्म के बारे में जानते हैं और पूजा का विधि-विधान जानते हैं। इतना ही नहीं उनके दादा का नाम भी फिरोज खान गांधी है। जाहिर है वे न तो धर्म से, न संस्कार से और न ही जन्म के आधार पर हिंदू हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वे बार-बार खुद को हिंदू साबित करने में क्यों लगे हुए हैं?
इसलिए ‘ढोंगी’ हिंदू हैं राहुल गांधी
मार्च 2017
काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा के दौरान नमाज की मुद्रा बना ली
नवंबर, 2017
सोमनाथ मंदिर के एंट्री रजिस्टर में अपने नाम के आगे ‘M’ लिखा
जुलाई, 2018
मुस्लिम बुद्धिजीवियों से राहुल ने कहा- ‘’कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी’’
फरवरी, 2018
कर्नाटक में हंपी के विरुपाक्ष शिव मंदिर में जाने से किया इनकार
अगस्त, 2014
मंदिर दर्शन को जाने वाले हिंदुओं को लड़कियां छेड़ने वाला बताया
जुलाई, 2009
विकिलीक्स को बताया कि अलकायदा-लश्कर से खतरनाक हैं हिंदू
कांग्रेस के डीएनए में हिंदू धर्म का अपमान करना है। आगे आपको दिखाते हैं किस तरह हिंदुओं की आस्था से खेलती रही है कांग्रेस पार्टी
साधु-संतों का सम्मान नहीं देख सकती कांग्रेस
कुछ महीनों पहले मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने साधु संतों को सम्मान देने के लिए उन्हें मंत्री का दर्जा दिया था। इस फैसले के साथ ही सरकार ने वृक्षारोपण, जल संरक्षण के साथ स्वच्छता जैसे सामाजिक और पर्यावरणीय सरोकारों से जुड़े मामलों पर संतों का साथ लेने की एक कोशिश है। क्योंकि समाज में हमारे संत अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन हिंदू विरोध की नीति पर चल रही कांग्रेस को यह बात रास नहीं आई। सरकार के इस सकारात्मक और रचनात्मक पहल की प्रशंसा करने के बजाय कांग्रेस ने उल्टा साधु-संतों का अपमान करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस पार्टी की नेता खुशबू सुंदर ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने इस कदम का उपहास उड़ाते हुए नगा साधुओं की एक तस्वीर डालते हुए लिखा है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में कुछ दिनों में यही दृश्य देखने को मिलेगा।
This is how #BJP ruled state assemblies are likely to look like in a few days from now after the newly inducted #MoSs
in MP..What say @AmitShah ji?? pic.twitter.com/GNJnp55A33— khushbusundar (@khushsundar) 5 April 2018
दरअसल समाज में संत प्रेरणा और चेतना जागृत करते हैं, इसलिए जल संरक्षण और वृक्षारोपण के प्रयास उनके माध्यम से तेजी से होंगे। लेकिन कांग्रेस को यह कतई पसंद नहीं कि हिंदू साधु-संतों सम्मान किया जाए। कांग्रेस लगातार खुद को हिंदुओं की हितैषी साबित करने में लगी हुई है। पार्टी के अध्यक्ष लगातार मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया जाना यह साबित करता है कि वास्तव में कांग्रेस क्या है?
An @INCIndia spokesperson openly insults Naga Sadhus, an accepted tradition in Hinduism. Meanwhile, congress prezz @RahulGandhi goes on a faux Temple Run in Kerala! https://t.co/7V4vhtQ6HA
— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) 5 April 2018
An @INCIndia spokesperson openly insults Naga Sadhus, an accepted tradition in Hinduism. Meanwhile, congress prezz @RahulGandhi goes on a faux Temple Run in Kerala! #RahulGandhi #KarnatakaElections2018 https://t.co/lsW1dEHzPg
— PrasenjitSaha (@I_m_Prasenjit) 5 April 2018
Is this the new liberal Hinduism of Rajiv Gandhi or why Shashi Tharoor is a Hindu? The media voices of Congress ridicule Hindu Sadhus as a political ploy. Would they do that with any other religious group? Shows what the Congress Party really stands for. https://t.co/HHwA6Z8MNs
— Dr David Frawley (@davidfrawleyved) 5 April 2018
बहरहाल एक नहीं ऐसे अनेकों मामले हैं जो ये साबित करते हैं कि कांग्रेस पार्टी लगातार हिंदू आस्था से खिलवाड़ करती रही है। उसे न तो सनातन संस्कृति से प्रेम है और न ही साधु-संतों के प्रति सम्मान का भाव है।
शंकराचार्य के विरुद्ध कांग्रेस की साजिश
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी किताब ‘द कोलिशन इयर्स’ में ये खुलासा किया है कि 2004 में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी के पीछे सोनिया गांधी हाथ था। जाहिर है इसके मूल में हिंदू विरोध ही था। दरअसल दक्षिण भारत में बेरोक-टोक ईसाई धर्म का प्रचार चल सके इसके लिए वेटिकन के इशारे पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को साजिश के तहत गिरफ्तार करवाया गया। हालांकि 2013 में वे बाइज्जत बरी किए गए, लेकिन उन्हें बेकसूर ही 10 वर्षों तक हिंदू होने की सजा भुगतनी पड़ी और जेल के सलाखों के पीछे रहना पड़ा।
स्वामी असीमानंद को जानबूझकर फंसाया
जिस हिंदू संस्कृति और सभ्यता की सहिष्णुता को पूरी दुनिया सराहती है, उसे भी बदनाम करने में कांग्रेस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। 18 फरवरी, 2007 को समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट केस में दो पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों को पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया। उनके स्थान पर निर्दोष हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया।
समझौता विस्फोट में कांग्रेस को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए सोनिया गांधी, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, शिवराज पाटिल और सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद का जाल बुना और इस केस में स्वामी असीमानंद को फंसाया गया ताकि भगवा आतंकवाद की साजिश को अमली जामा पहनाया जा सके।
राम सेतु को तोड़ने का बनया था प्लान
वर्ष 2013 में जब सुप्रीम कोर्ट में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट पर बहस चल रही थी तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी असल सोच को जगजाहिर किया था। पार्टी ने एक शपथ पत्र के आधार पर भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था। इस शपथ पत्र में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि भगवान श्रीराम कभी पैदा ही नहीं हुए थे, यह केवल कोरी कल्पना ही है। साफ है कि कांग्रेस ने व्यावसायिक हित के लिए देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर कुठराघात करने की तैयारी कर ली थी। जिस राम सेतु के अस्तित्व को NASA ने भी स्वीकार किया है, जिस राम सेतु को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी MAN MAID यानि मानव निर्मित माना है, उसे कांग्रेस पार्टी तोड़ने जा रही थी।
राम मंदिर के विरोध की कांग्रेस की नीति
अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मामले को कांग्रेस ने हमेशा से ही उलझाए रखा है। जबकि देश का हर नागरिक अब राम जन्म भूमि पर मंदिर बनने का सपना देख रहा है। अब यह कोई नहीं चाहता कि अयोध्या का हल नहीं निकले, लेकिन कांग्रेस की भूमिका को लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेसी मानसिकता को उजागर करते हुए अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर अब जुलाई 2019 के बाद सुनवाई हो। सिब्बल के बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने लम्बे समय से राम के नाम पर घिनौनी राजनीति का प्रदर्शन किया है।
भगवान राम की तीन तलाक से की तुलना
16 मई, 2016 को सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि जिस तरह राम हिंदुओं के लिए आस्था का सवाल है उसी तरह तीन तलाक और हलाला मुसलमानों की आस्था का मसला है। साफ है कि कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिंदुओं की प्रति उनकी सोच को ही दर्शाती है।
सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण का विरोध
हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का जवाहरलाल नेहरू ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मंदिरों पर खर्च नहीं होना चाहिए। दरअसल उन्हें डर था कि इससे मुस्लिमों में नाराजगी बढ़ेगी।