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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में रेलवे अपना रही सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में रेल मंत्रालय ने सुरक्षा मानकों पर तेजी से काम किया है। जहां तकनीक की जरूरत है, रेल मंत्रालय तकनीक का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं है। हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ को मैनेज करने के लिए द्रोण कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल का ही असर है कि पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में समान अवधि के दौरान एक अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2017 के बीच ट्रेन हादसों में काफी कमी आई है। ट्रेन हादसों की संख्या 85 से घटकर 49 रह गई है। रेल पटरी के नवीनीकरण के काम में भी तेजी आई। चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2017 तक 2,148 किलोमीटर पुरानी रेल पटरियों को बदला जा चुका है। अब तक 2,367 मार्ग किलोमीटर के इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की रिकॉर्डिंग की गई। रेल परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अर्ध हाई स्पीड और हाई स्पीड ट्रैक को लेकर काम जारी है।

वर्ष 2017 में रेल मंत्रालय के कार्यों का लेखा-जोखा
यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर काम हो रहा है। उसका असर अब दिखने लगा है। देश में पहला स्वदेश निर्मित 12 कोच की पहली ब्रॉड गेज वातानुकूलित इएमयू मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में शुरू हो गया है। 45000 कोचों में सुधार करने के लिए मिशन रेट्रो-फिमेंट की शुरुआत की गई है। जीपीएस सिस्टम को लगाया गया है। टिकट बुकिंग से लेकर ट्रेन को ट्रैक करने के लिए मोबाइल एप की लांचिंग की गई है। देरी से चलने वाली ट्रेनों की जानकारी के लिए एसएमएस सेवा की शुरुआत की गई।

अधिकारियों को सौंपे वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार
रेलवे के कामकाज में सुधार करने के लिए रेलवे बोर्ड ने काम करने के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करने के लिए जनरल मैनेजर (जीएम), डिवीजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) और क्षेत्रीय अधिकारियों को पर्याप्त वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार दिए हैं।

एसएमएस से मिलती है ट्रेनों के देरी से आने की सूचना – ट्रेन आने में देरी होने पर रेल यात्रियों को एसएमएस के जरिये इसकी सूचना देने की शुरुआत 3 नवंबर, 2017 से हुई। अब तक यह व्यवस्था सभी राजधानी, शताब्दी, तेजस, गतिमान ट्रेनों के अलावा जनशताब्दी, दुरंतो और गरीब रथ ट्रेनों के लिए भी शुरू हो गई है। यह सेवा अब तक 250 ट्रेनों के लिए उपलब्ध है।

आरक्षित सीट के लिए विकल्प व कोटे की सुविधा – सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को आरक्षित सीट उपलब्ध कराने के लिए अल्टनेट ट्रेन को विकल्प के तौर पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया 1 अप्रैल, 2017 से शुरू की है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एसी 3 क्लास में दो बर्थ और स्लीपर में 4 बर्थ की व्यवस्था की गई है।

497 रेलवे स्टेशनों पर ऑनलाइन रिटायरिंग रूम बुकिंग – रिटायरिंग रूम और शयनगृह में उपलब्ध आवास का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के के लिए रात्रि बुकिंग को छोड़कर रिटायरिंग रूम की बुकिंग के साथ-साथ शयनगृह की बुकिंग के लिए निर्देश जारी किए गए जहां बुकिंग को रात्रि 9 बजे से सुबह 9 बजे तक अनिवार्य रूप से पूरा किया जाएगा। यह सेवा अभी मुंबई, अहमदाबाद, वड़ोदरा और सुरत रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध है।

रेलवे में नई खानपान नीति – नई खानपान नीति के तहत सभी श्रेणी के स्टेशनों पर प्रत्येक श्रेणी के छोटे खानपान इकाइयों के आवंटन में महिलाओं के लिए 33% का कोटा दिया गया है। पीएसयू आईआरसीटीसी की ई-कैटरिंग सेवा के जरिए स्थानीय व्यंजन उपलब्ध कराने के लिए स्व-सहायता समूह को तैयार किया गया।

स्टेशनों पर बेहतर लाइट के लिए एलईडी – बेहतर प्रकाश और यात्री सुरक्षा के लिए मार्च 2018 तक सभी स्टेशनों पर 100% प्रतिशत एलईडी प्रकाश व्यवस्था की शुरुआत की गई। अब तक 3,500 से अधिक स्टेशनों पर एलईडी लाइट का काम पूरा हो चुका है।

रेलवे प्लेटफार्म पर चार्जिंग प्वाइंट – सभी रेलवे प्लेटफार्मों पर मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्वाइंट की व्यवस्था की जा रही है।

कीट से मुक्ति के लिए मशीन – यात्रियों को क्रीड़े से मुक्त रखने के लिए रेलवे स्टेशनों पर कीट पकड़ने वाले मशीनों की व्यवस्था की जा रही है।

टिकट बुकिंग के लिए नया मोबाइल एप – आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट ने एक नया मोबाइल एप लॉन्च किया। आधार से जुड़े यूजर आईडी को एक महीने में 12 ई-टिकट बुक करने की अनुमति दी गई, जबकि गैर आधार यूजर आईडी के लिए 6 टिकट बुक करने का प्रावधान है।

रेल सुरक्षा नया मोबाइल एप – यात्रियों की सुविधा के लिए नया इंटीग्रेटेड मोबाइल एप ‘रेल सुरक्षा’ को लांच किया गया। इसके माध्यम से रेल ई-टिकट बुकिंग, अनारक्षित टिकट, शिकायत प्रबंधन, क्लीन कोच, यात्री पूछताछ आदि की व्यवस्था की गई है।

भीम और यूपीआई से काउंटर पर भुगतान – टिकट के भुगतान के लिए आरक्षण काउंटर पर यूपीआई / बीएचआईएम ऐप का उपयोग कर सकते हैं। ई-टिकटिंग वेबसाइट के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

प्रोजेक्ट स्वर्ण – 14 राजधानी और 15 शताब्दी ट्रेनों की “परियोजना स्वर्ण” के तहत यात्री सुविधा में सुधार करने के लिए पहचान की गई। इसके तहत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ‘कर्मचारी व्यवहार’ को एक महत्वपूर्ण पैरामीटर के रूप में पहचाना गया था। इन प्रमुख ट्रेनों के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को खानपान, प्रबंधन और सफाई जैसे विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित किया गया था।

हाईस्पीड रेल ट्रैक के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग पर काम जारी – रेलवे के मुख्य मार्गों (दिल्ली – मुंबई, दिल्ली – हावड़ा, हावड़ा – चेन्नई, चेन्नई – मुंबई, दिल्ली – चेन्नई और हावड़ा – मुंबई) पर जो बाधाएं हैं, उसे दूर करने के लिए एक सड़क का नक्शा विकसित किया गया है। यह कदम स्थाई बुनियादी ढांचा, चल ढांचे और संचालन प्रथाओं के कारण उठाया गया है।

दो मार्गों पर 18 हजार करोड़ रुपए खर्च – इसमें दो मार्गों के लिए परियोजनाएं यानी नई दिल्ली-मुंबई सेंट्रल (वड़ोदरा-अहमदाबाद सहित) और नई दिल्ली-हावड़ा (कानपुर-लखनऊ सहित) 160/200 किमी प्रति घंटे की गति बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 के कार्य योजना में शामिल किया गया है। इस पर लगभग 18,000 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए बाड़ लगाने, लेवल क्रॉसिंग हटाने, ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्लूएस), मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (एमटीआरसी), स्वचालित और मैकेनाइज्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम इत्यादि पर काम हो रहा है, जिसके कारण सुरक्षा और विश्वसनीयता में वृद्धि होती है। इससे प्रीमियम राजधानी प्रकार की ट्रेनों हावड़ा राजधानी के लिए यात्रा का समय 17 घंटे के बजाय 12 घंटा हो जाएगा और साथ ही मुंबई राजधानी के 15 घंटे 35 मिनट की जगह कम होकर 12 घंटे की यात्रा अवधि हो जाएगी।

लोको की स्थापना से ईएमयू ट्रेनों की औसत गति में तेजी – लोको की स्थापना से एमईएमयू / डीईएमयू ट्रेनों के साथ ही लोकल ट्रेनों की तुलना में एमईएमयू ट्रेनों की गति में 20 किमी प्रति मील की औसत वृद्धि हुई है।
अर्ध हाई स्पीड के लिए स्टडी – दिल्ली-चंडीगढ़ (244 किमी) रूट पर 200 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रियों की ट्रेनों की गति बढ़ाने को लेकर नई दिल्ली-चंडीगढ़ कॉरिडोर की व्यवहार्यता और कार्यान्वयन की अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। नागपुर – सिकंदराबाद (575 किमी) रूट पर जून 2016 से काम जारी है। इस पर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार काम चल रहा है। चेन्नई – काजीपेट रूट पर ट्रेन परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अध्ययन जारी है।

सुरक्षा मानकों पर काम से हादसों में आई भारी कमी – रेल मंत्रालय सुरक्षा मानकों पर भी नियमित रूप से काम करने का असर है कि चालू वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल, 2017 से 30 नवंबर, 2017 के दौरान ट्रेन हादसों की संख्या 85 से घटकर 49 रह गई।

सभी क्षेत्रीय रेलवे में सुरक्षा मुहिम – दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी क्षेत्रीय रेलवे पर सुरक्षा मुहिम चलाई गई थी। रात के निरीक्षणों और अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा नियमित रूप से जांच, दरार वाले स्थानों की समीक्षा, बार-बार और गहन फुटप्लेट निरीक्षण आदि पर जोर दिया गया। चालक दल के बुकिंग, परामर्श, प्रशिक्षण, पीएमई, प्रदर्शन मूल्यांकन आदि से संबंधित निगरानी व्यवस्था पर लगातार ध्यान दिया गया।

सभी मानव रहित क्रॉसिंग (यूएमएलसी) को 2018 में बंद करने का लक्ष्य बनाया गया है। नवंबर 2017 तक ब्रॉड गेज पर सभी यूएमएलसी पर गेट मित्र को तैनात कर दिया गया।

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