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देश को बदनाम करने की साजिश रच रहा है सेक्युलर गिरोह ? इनका बहिष्कार कीजिए

'सेक्युलर गैंग' के एजेंडे को एक्सपोज करती विशेष रिपोर्ट

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पूरा विश्व जहां आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है वहीं भारत की अर्थव्यवस्था सुधर रही है। विदेशी निवेश में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही और रक्षा क्षेत्र में भारत की गिनती दुनिया के ताकतवर देशों में हो रही है। ग्लोबल होती दुनिया में भारत की अलग छवि बन गई है। लेकिन भारत के दुश्मन ये नहीं देख पा रहे हैं। ये लोग भारत की छवि धूमिल करने पर तुले हुए हैं। ये मीडिया, फिल्म, सामाजिक क्षेत्र और राजनीति सभी जगह हैं। इन्हें बेहतर और उन्नत भारत नहीं चाहिए, इन्हें चाहिए वोट बैंक की आजादी, ‘दलाली’ की आजादी। ये भारत के दुश्मन हैं, देश के खलनायक हैं, ये असहिष्णुता गैंग चलाते हैं, ये ‘सेक्युलर’ वामपंथी हैं, ये जिहादी हैं। ये सब मिलकर एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं। ये लोग भारत को खतरनाक बता रहे हैं। लेकिन जरा सोचिये कि ये वही देश है जहां सरेआम देश को तोड़ने की बातें की जाती हैं, लेकिन इन्हें कानून का संरक्षण मिलता है। भारत तेरे टुकड़े होंगे-इंशा अल्ला-इंशा अल्ला, कह कर भी ये भारत का नागरिक कहलाते हैं। ये कौन लोग हैं? आखिर इन्हें अब कैसी आजादी चाहिए। क्यों भारत की छवि खराब कर रहे हैं? इन्हें पहचानिए, इनका बहिष्कार कीजिए, इन्हें सजा दिलवाइए।

भारत को कर रहे हैं बदनाम 
भारत को बदनाम करने की साजिश हर स्तर पर है। मेनस्ट्रीम मीडिया तो खास तौर पर इस ‘सेक्युलर’ गैंग के जाल में फंसी हुई है। इनके एजेंडे में देश पीछे है और अपने आकाओं को खुश करना इनकी प्राथमिकता है। देखिए इसी साजिश को बेनकाब करती स्टोरी के लिंक।
http://bit.ly/2sllMQO

कौन कौन कर रहा है बदनाम ?
अवॉर्ड वापसी गैंग और असहिष्णुता गैंग बार-बार नये नारे लेकर आ रहा है। ऐसे लोग नये-नये नारे ढूंढ तो रहे हैं, लेकिन चेहरे वही पुराने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से केंद्र की कमान संभाली है इस गैंग को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। फिल्म जगत में अरशद वारसी, जावेद जाफरी, कमाल आर खान, करण जौहर जैसे नाम इसी श्रेणी में हैं। ये जब भी किसी हिंदुओं पर जुल्म होता तो नहीं बोलते। इन्हें केरल में सरेआम गाय का कत्ल करने वाला भी सेक्युलर दिखता है। इन्हें कश्मीर में अयूब पंडित की लिंचिंग जायज दिखती है। इन्हें पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रहा अन्याय नहीं दिख रहा है। 

‘दलाल’ पत्रकारों का गैंग फैला रहा है झूठ
सत्ता के गलियारों में जब से दलाली के कारोबार को मोदी सरकार ने खत्म किया है, कुछ पत्रकार मोदी विरोध का झंडा थामे घूम रहे हैं। कोई ऐसा अवसर नहीं छोड़ते जहां मोदी विरोध की थोड़ी भी गुंजाइश हो। राजदीप सरदेसाई, राणा अयूब, बरखा दत्त,राहुुल कंवल, रवीश कुमार, पुण्य प्रसून वाजपेयी, विनोद शर्मा, विनोद दुआ, ओम थानवी, स्वाति चतुर्वेदी जैसे कई पत्रकारों ने मोदी विरोध का एजेंडा बना लिया है। दरअसल हकीकत ये है कि ये सभी कभी न कभी कांग्रेस सरकार के वक्त सत्ता के गलियारों में अच्छी पैठ रखते थे। लेकिन ये दौर पीएम मोदी का है और यहां किसी ‘दलाल’ की दाल नहीं गल रही।

सोशल मीडिया में कर रहे हैं मारकाट
सोशल मीडिया पर भी एक खास तरह का गैंग सक्रिय है। एक दूसरे को ट्वीट और रीट्वीट कर अफवाहें फैलाना इनका काम है। ऐसे गैंग तमाम तरह के अफवाह फैलाने के लिए सोशल मीडिया का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। आप देख सकते हैं कि एक ही ग्रुप के लोग एक दूसरे को कैसे ट्वीट और रीट्वीट करते हैं, जो एक पैटर्न के तौर पर पैन इंडिया है।

शबनम हाशमी के षडयंत्र का सच देखिए
शबनम हाशमी ने  में भीड़ के हाथों मारे जा रहे मुसलमानों के विरोध में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार अवार्ड लौटा दिया है। जरा आप समझिये इनकी मंशा क्या है? ये सिर्फ मुसलमानों की हत्या से आहत हैं, अगर कोई हिंदू मारा जाएगा तो इन्हें बेहद खुशी होती है। सोचना पड़ेगा कि छद्म सेक्युलरवाद का झंडा बुलंद करने वाली शबनम हाशमी को अन्य अल्पसंख्यकों या हिंदुओं के मारे जाने पर दुख क्यों नहीं होता?

फॉरेन फंडिंग की फांस में फंसी हैं शबनम
शबनम हाशमी वही हैं जिन्होंने गुजरात दंगे के बाद नरेंद्र मोदी को बदनाम करने में कोर कसर नहीं छोड़ी थी। ये एक एनजीओ भी चलाती हैं, इस एनजीओ की फॉरेन फंडिंग को मोदी सरकार ने रोक दिया है। साफ है कि मोहतरमा को चिढ़ तो होगी ही।

शबनम को है मोदी से नफरत, कांग्रेस से प्यार
शबनम खुलेआम कहती हैं कि उन्हें बीजेपी से घृणा है और वे पीएम मोदी को अपना प्रतिनिधि नहीं मानती हैं। इसके साथ ही इनका प्यार कांग्रेस पर उमड़ता है। 2008 में इन्होंने कांग्रेस सरकार से ही पुरस्कार लिया था। इनके भाई सफदर हाशमी कांग्रेस के ही कार्यकर्ता थे। जिनकी हत्या का आरोप कांग्रेसियों पर ही था। लेकिन कांग्रेस से पुरस्कार पाने वाली शबनम तो अपने भाई का भी कत्ल भूल कांग्रेस की तारीफ कर रही हैं।

प्रेस्टीट्यूट मीडिया झूठ फैलाने में जुटा
भारत के विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने जब एक पत्रकार को प्रेस्टीच्यूट कह दिया था तो बवाल मच गया था। लेकिन आप देख सकते हैं कि कुछ मीडिया हाउस कैसे मोदी विरोध का एजेंडा चला रहे हैं। ये अपनी रिपोर्ट में झूठ फैलाते हैं, जिससे मोदी सरकार की छवि धूमिल हो और भारत विश्व बिरादरी में बदनाम हो जाए।

http://bit.ly/2sllMQO

आंकड़ों में जानिये ‘सेक्युलर’ गैंग के आरोपों का सच
आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे तो आप साफ पाएंगे कि किस तरह से एक पक्षीय रिपोर्टिंग की गई है। अखबार ने कहा है कि मुस्लिमों के खिलाफ 63 घटनाएं हुई हैं जिनमें 32 घटनाएं गैर भाजपा शासित राज्यों में हुई हैं। प्रश्न यह खड़ा हो रहा है कि क्या ये साजिश के तहत किया जा रहा है? इतना ही नहीं इन सारी घटनाओं में अपराधी कौन है, किस दल से संबंधित है, इसकी कोई शिनाख्त नहीं है। ऐसे में सभी राज्यों में हो रही घटनाओं को पीएम मोदी या भाजपा से कैसे जोड़ा जा सकता है? आखिर ये क्यों झूठ फैला रहे हैं, इन्हें पहचानिए। इन्हें सजा दिलवाइए।

देश के 12 शहरों में उत्पात मचाने की है योजना
हरियाणा के बल्लभगढ़-पलवल ट्रेन में हुई मुस्लिम किशोर जुनैद की हत्या को महज इसलिए तूल दिया जा रहा है कि एक बार फिर देश में माहौल अशांत हो जाए। खास तौर पर जब पीएम मोदी विदेश दौरों पर होते हैं तो ऐसे समय में ये प्रायोजित किया जाता है। अब देश और विदेश के 12 शहरों में फिर से इस असहिष्णुता गैंग के सदस्य जमा होने वाले हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस के शशि थरूर जैसे सोफिस्टिकेटेड माने जाने वाले नेता इस खबर को री-ट्वीट करते हैं और शामिल होने की बात करते हैं। इनमें जुटने वाले चेहरों को भी जरा पहचानिएगा।

अयूब पंडित की लिंचिंग से इनके दिल को ठंडक पहुंची!
श्रीनगर में डीएसपी अयूब पंडित को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। उन्हें निर्वस्त्र कर करीब एक किलोमीटर घसीटा गया। उनकी मौत के बाद भी उन पर पत्थर फेंके जाते रहे। ऐसी क्रूर भीड़ थी जिसने अयूब पंडित के शव तक को नाली में फेंक दिया। लेकिन हमारे ‘सेक्युलर’ पंडितों को ये आजादी की मांग लगी। कोई कुछ नहीं बोला, किसी धर्मनिरपेक्ष गुंडे की जुबान नहीं खुली। जाहिर है सेक्युलर जमात को जुनैद की हत्या पर ब्लैक ईद मनाने का तो सूझा लेकिन अयूब पंडित की मौत का वे जश्न मनाते रहे।

बंगाल के मारे गए हिंदू क्या इनके लिए इंसान नहीं थे?
पश्चिम बंगाल में किस तरह से हिंदुओं पर हमले किए जा रहे हैं ये किसी से छिपा नहीं है। एक के बाद एक हिंदुओं की हत्या की जा रही है। लेकिन पश्चिम बंगाल की सरकार इसे और प्रश्रय दे रही है। मालदा, अलीपुर द्वार, मुर्शिदाबाद जैसे इलाके कट्टरपंथियों की जद में है। आबादी का समीकरण ऐसा बिगड़ा है कि हिंदू वहां पूजा-पाठ तक नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन ‘सेक्युलर’ जमात का कोई नुमाइंदा पश्चिम बंगाल नहीं जाता। वहां बहू-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ भी इन्हें मंजूर है। क्योंकि ये ‘सेक्युलर’ हैं और हिंदू इंसान नहीं हैं?

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