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मुस्लिम महिलाओं के लिए बनी मसीहा को बताया इस्लाम विरोधी, सेक्युलर गैंग की चुप्पी

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सेक्युलर गैंग के लोगों का मिजाज गिरगिट की तरह किस तरह बदलता है, यह उनके इस रवैये से साफ समझा जा सकता है। खुद को कथित रूप से सेक्युलर बताने वाले लोग किस तरह से दोगला बर्ताव करते हैं, यह आप दो हमनाम महिलाओं की कहानी से जान सकते हैं। मुठभेड़ में मारी गई एक आतंकी इशरत जहां को बहन-बेटी बताने वाले कथित बुद्धिजीवी अब मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने वाली दूसरी इशरत जहां की प्रताड़ना के मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

तीन तलाक के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाली पांच याचिकाकर्ताओं में से एक इशरत जहां को उम्‍मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके साथ-साथ दूसरी मुस्लिम महिलाओं की परे‍शानियां भी कम हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तलाक पर सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद लोगों ने इशरत का सामाजिक बहिष्‍कार शुरू कर दिया गया है। देश की लाखों मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के लिए इशरत जहां भले ही एक मसीहा बन गई हों, लेकिन इसके बदले में उन्हें जो कुछ सहना पड़ रहा है, उस पर कोई भी कथित सेक्युलर मुंह खोलने को तैयार नहीं है। यहां तक की इस समय इशरत को अपने ही लोगों की नफरत का शिकार बन रही हैं।

पश्चिम बंगाल में हावड़ा के पिलखाना की रहने वाली इशरत जहां को उनके पति ने वर्ष 2014 में दुबई से फोन करके फोन पर ही तीन तलाक दे दिया था। इस तलाक के खिलाफ इशरत कोर्ट चली गईं। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद लोगों ने उनके चरित्र तक पर कीचड़ उछालना शुरू कर दिया है। इशरत का घर में रहना तक मुश्किल हो गया है। उन्हें गंदी औरत, मर्दों की दुश्मन और इस्लाम विरोधी कहा जा रहा है। ज्यादातर पड़ोसियों ने तो इशरत से बात तक करना बंद कर दिया है। उनके साथ-साथ इशरत जहां को अपने घर वालों तक के ताने सुनने पड़ रहे हैं। इशरत का कहना है कि सभी मुस्लिम महिलाओं की भलाई के लिए इतनी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अब उनमें अपनों की ही नफरत झेलने और उनसे लड़ने की हिम्मत नहीं बची है।

अब देखना यह है कि तलाक को चुनौती देकर जीत हासिल करने वाली इशरत के पक्ष में वे सेक्युलर आगे आते हैं या नहीं, जो एक आतंकी और देशद्रोही इशरत जहां के समर्थन में सड़कों पर उतर आए थे। उस गद्दार तक को अपनी बहन-बेटी बताने वाले आज इस इशरत जहां की अनदेखी क्यों कर रहे हैं, जिसने सही मायने में अपने समुदाय की बहन-बेटियों के दर्द को समझा और उन्हें इससे राहत दिलाई। क्या इन कथित सेक्युलरों को एक देशभक्त और एक देशद्रोही के बीच का फर्क नहीं पता या हर मौका इनके लिए सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने का एक माध्यम भर है, चाहे वह इंसानियत तक के खिलाफ ही क्यों ना हो। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करने वाले कांग्रेसी नेता इशरत के बचाव में आगे आते हैं या नहीं।

सोशल मीडिया पर भी लोग सेक्युलर गैंग को निशाने पर ले रहे हैं।

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