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चर्चों और मिशनरियों में चल रहे ‘पापों’ पर सेक्युलर गैंग को सांप क्यों सूंघ गया है?

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सौजन्य: दैनिक भास्कर

झारखंड में हुए मानव तस्करी के बहुत बड़े रैकेट के पर्दाफाश से देश भर में सक्रिय ईसाई मिशनरियों को लेकर गंभीर सवाल पैदा हो गए हैं। क्योंकि, हाल के दिनों में चर्चों और मिशनरियों से जुड़े संस्थाओं में एक के बाद एक ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसने मानव सेवा की आड़ में हो रहे गंदा खेल उजागर हो गया है। रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी से हुए बच्चों की तस्करी के तार तो देश के कई राज्यों तक से जुड़ने लगे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले केरल में पादरियों द्वारा नन के साथ रेप और खूंटी में पादरी द्वारा समाज सेवा कर रही लड़कियों को गैंग रेप के लिए भेजे जाने को लेकर हंगामा मचा हुआ है।

मिशनरी से कैसे गायब हुए 280 बच्चे ?
समाचार पोर्टल दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक जांच में सामने आया है कि रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़ी संस्था निर्मल हृदय में रह रहीं पीड़िताओं से जन्मे बच्चे और शिशु भवन में रखे गए 280 बच्चों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। ये बच्चे 2015 से 2018 के बीच इन संस्थाओं में पहुंचे थे। जानकारी के अनुसार ये खेल काफी लंबे समय से चल रहा है। लेकिन, बच्चों की तस्करी पर जब 2015 में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के दो तत्कालीन पदाधिकारियों ने कार्रवाई करने की कोशिश की तो उन्हें ही छेड़छाड़ के आरोप में बर्खास्त करा दिया गया। अभी तक की छानबीन में ये भी पता चला है कि जब कुछ पीड़िताओं ने जन्म के बाद अपने बच्चों की खोज-खबर लेनी चाही तो उन्हें उनके बच्चों को मरा हुआ बता दिया गया था। गौरतलब है कि ये वो माताएं हैं, जो या तो दुष्कर्म की शिकार हैं या बिन ब्याही मां बनी हैं। पुलिस को अभी तक इस नापाक खेल में 8 लोगों के नाम का पता चला है। इनमें सिस्टर कांसिलिया बाखला, सदर अस्पताल की गार्ड मधु कुमारी, बच्चे को खरीदने वाले उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी व्यवसायी दंपति सौरभ कुमार अग्रवाल एवं प्रीति अग्रवाल का नाम शामिल है। इनमें से सिस्टर कांसिलिया को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। जबकि निर्मल हृदय की हेड सिस्टर मेरी हिरासत में है। पुलिस ने कुछ सिस्टरों के पास से 1.49 लाख रुपये भी बरामद किए हैं।

खूंटी गैंग रेप से जुड़े हैं मिशनरी से मानव तस्करी के तार ?
इससे पहले झारखंड के ही खूंटी में एक मिशनरी स्कूल के फादर पर 5 युवतियों का गैंग रेप कराने का आरोप लगा था। दैनिक जागरण न्यूज पोर्टल के अनुसार पीड़िताओं का आरोप है कि वे मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए उनके स्कूल में नुक्कड़ नाटक कर रही थीं। इसी दौरान आरोपी वहां आए और फादर ने युवतियों को उनके साथ जाने को मजबूर किया। आरोपी फादर अल्फोंस आइंद पर ये भी आरोप है कि जब वहां मौजूद नन भी युवतियों के साथ चलने को तैयार हुईं तो फादर ने उन्हें रोक लिया। युवतियों ने फादर से बहुत विनती की लेकिन, फादर ने उनकी एक न सुनी। बाद में आरोपियों ने पांचों युवतियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उनके शरीर के साथ बहुत ही ज्यादती की। वापस आने पर फादर और ननों ने उन्हें इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताने के लिए आगाह किया। यह भी चेतावनी दी कि अगर कुछ बताया तो उनके परिजनों की हत्या तक हो सकती है।

केरल में 4 पादरियों ने किया महिला से रेप
केरल के कोट्टायम शहर में 4 पादरियों पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है। आरोपों के अनुसार इन पादरियों ने चर्च में ईश्‍वर के समक्ष पाप स्‍वीकार करने आई महिला का कई बार यौन उत्‍पीड़न किया। खबरों के मुताबिक आरोपियों ने महिला की स्‍वीकारोक्ति का इस्‍तेमाल ब्‍लैकमेल करने के लिए किया और उसका रेप किया। हालांकि आश्चर्य की बात है कि केरल पुलिस ने अबतक पादरियों की गिरफ्तारी की कोई कार्रवाई नहीं की है और चर्च की आंतरिक जांच के भरोसे ही बैठी हुई लगती है। इस घटना के बाद केरल के एक महिला संगठन ने ईसाईयों में चर्च के सामने स्‍वीकारोक्ति की वर्षों पुरानी परंपरा में संशोधन कर ननों को भी बाकी महिलाओ की तरह प्रायश्चित का अवसर देने की मांग उठाई है। गौरतलब है कि इससे पहले भी चर्च में यौन उत्पीड़न की कई शिकायतें आती रही हैं, लेकिन उसपर कोई कदम नहीं उठाया जाता है।

सवाल उठना लाजिमी है कि हर बात में कैंडल मार्च लेकर सड़कों पर उतरने वाला सेक्युलर गैंग, चर्चों और मिशनरियों में चल रहे पापों पर मौन क्यों है? अगर केरल में आरोपियों से नरमी बरते जाने का संदेह है तो वो वहां की सरकार पर ठोस कार्रवाई की मांग क्यों नहीं की जा रही है। क्या चर्च में ननों के होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता नहीं है?

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