Home समाचार महंगाई पर नियंत्रण को तत्पर मोदी सरकार, चीनी-प्याज पर लगाई स्टॉक लिमिट

महंगाई पर नियंत्रण को तत्पर मोदी सरकार, चीनी-प्याज पर लगाई स्टॉक लिमिट

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केंद्र की मोदी सरकार आम लोगों के प्रति कितनी संजीदा है, ये उनके हर निर्णय में दिखता है। एक बार फिर मोदी सरकार ने अपनी संजीदगी का परिचय देते हुए चीनी और प्याज पर स्टॉक लिमिट लगा दी है। दरअसल हर साल त्योहारी सीजन यानि अक्टूबर-नवंबर के दौरान चीनी और प्याज की कीमतों में अचानक उछाल आ जाता है। लेकिन केंद्र सरकार इसको लेकर तत्पर है कि महंगाई कतई न बढ़े। इसी सिलसिले में सरकार ने सितंबर और अक्टूबर 2017 के दौरान चीनी और प्याज की कीमतों को स्थिर रखने के लिए स्टॉक लिमिट का निर्णय लिया है।

दो महीने के लिए स्टॉक लिमिट
उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के अनुसार देश में चीनी की कमी नहीं है और स्टॉक लिमिट दो महीने के लिए लगाई गई है। सरकार ने चीनी के मामले में मिलों के स्तर पर सितंबर और अक्टूबर के लिए स्टॉक लिमिट लगाई है। जबकि प्याज के मामले में उसने राज्यों से स्टॉक लिमिट लगाकर जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। स्टॉक लिमिट तय होने के बाद अक्टूबर के लिए स्टॉक लिमिट साल 2016-17 के पेराई सीजन में मिलों के उपलब्ध चीनी का आठ प्रतिशत रहेगा। जबकि सितंबर के लिए स्टॉक लिमिट 21 प्रतिशत तय किया गया है।

इसलिए लगी स्टॉक लिमिट
इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन के डेटा के अनुसार 31 मार्च , 2016 तक देश में कुल 233 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 18 लाख टन कम है। वहीं पेराई के आंकड़े देखें तो 31 मार्च 2016 तक कुल 215 शुगर मिलों ने ही गन्ने की पेराई की है। सरकार को लग रहा है कि कम उत्पादन और कम पेराई का हवाला देकर कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं।

कालाबाजारियों पर नकेल
गौरतलब है कि चीनी मिलों की ओर से होने वाली आपूर्ति रुकने के बीच थोक की भारी खरीद के कारण पिछले हफ्ते दिल्ली के थोक चीनी बाजार में कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंंटल तक की तेजी आई है। खुले बाजार में चीनी का औसत मूल्य 42 रुपये प्रति किलो के आसपास है। जबकि ब्रांडेड चीनी 50 रुपये प्रति किलो बिक रही है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने दो महीने के लिए चीनी मिलों पर स्टॉक लिमिट लगा दी है।

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कीमतें स्थिर रखने की कवायद
दरअसल जुलाई अंत तक देश में 82.9 लाख टन चीनी की उपलब्धता थी। इसमें से लगभग 43.5 टन चीनी की खपत अगस्त और सितंबर में होनी है। गौरतलब है कि सीजन 2016-17 में टोटल 2.83 करोड़ टन चीनी की उपलब्धता थी। इसमें पिछले साल का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक, डोमेस्टिक प्रॉडक्शन और रॉ शुगर इंपोर्ट भी शामिल था। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के थोक चीनी बाजारों में पिछले एक महीने से 36-37 रुपये प्रति किलो का एक्स मिल भाव था, लेकिन साउथ में चीनी के दाम पिछले एक सप्ताह में 1-2 रुपये प्रति किलो तेज होकर 38-39 रुपये पर पहुंच गया है।

बाजार कंट्रोल करने का प्रयास
चीनी कारोबारियों के लिए स्टॉक सीमा 500 टन तय की गई है। दरअसल त्योहारी सीजन पहले ही शुरू हो चुका है और आगे चीनी की मांग बढऩे के आसार हैं। इसलिए सरकार ने दक्षिण भारतीय मिलों को और आयात की मंजूरी न देकर स्टॉक सीमा लगाई है। गौरतलब है कि दक्षिण भारत में चीनी की भारी किल्लत है और कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। इसलिए दक्षिण भारत की मिलों ने सरकार से आयात की मंजूरी मांगी थी। लेकिन आयात से अगले साल बाजार अस्थिर होने की आशंका थी क्योंकि अगले साल गन्ने और चीनी का उत्पादन काफी अधिक रहने का अनुमान है।

मोदी और रामविलास पासवान के लिए चित्र परिणाम

ताकि दिवाली पर कीमतें रहें स्थिर
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुमानों के हिसाब से अक्टूबर 2016 से सितंबर 2017 तक के चीनी सीजन में चीनी की कुल उपलब्धता 285 लाख टन रहने का अनुमान है, जिसमें 77 लाख टन पिछले सीजन का बचा हुआ स्टॉक, 203 लाख टन उत्पादन और 5 लाख टन का आयात शामिल है। बाजार के अनुमानों के मुताबिक इस समय मिलों के पास करीब 60 लाख टन चीनी का स्टॉक है। दरअसल सितंबर के अंत तक मिलों के पास करीब 39 लाख टन चीनी के स्टॉक का अनुमान है। अक्टूबर में दिवाली है और उस महीने मिलों को करीब 24 से 25 लाख टन चीनी की बिक्री करनी होगी, जिससे अक्टूबर के अंत में 14 लाख टन चीनी बचेगी।

मोदी और चीनी उत्पादन के लिए चित्र परिणाम

indian sugar mills association के लिए चित्र परिणाम

सरकार के कदम की सराहना
मिल के स्तर पर उपलब्ध चीनी का आकलन एक अक्टूबर 2016 को बकाया स्टॉक, आलोच्य सीजन का उत्पादन और आयात जोड़कर किया जाएगा। इसमें से निर्यात की गई चीनी घटा दी जाएगी। सहकारी मिलों के उद्योग संगठन एनएफसीएसएफ ने कहा है कि चीनी पर स्टॉक लिमिट लगाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मिल गेट पर चीनी का मूल्य बहुत ज्यादा नहीं है। हालांकि निजी क्षेत्र की मिलों के संगठन इस्मा ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। उसने कहा कि इससे त्योहारी सीजन में चीनी के मूल्य में तेजी पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

प्याज के जमाखोरों पर हो एक्शन
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। केंद्र ने राज्यों को प्याज की भंडारण सीमा तय करने का भी अधिकार दिया है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने बताया कि राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को प्याज कारोबारियों व डीलरों पर नियंत्रण का अधिकार दिया गया है। राज्य सरकारें अब प्याज पर स्टॉक लिमिट लगा सकती हैं और सट्टेबाजों और मुनाफाखोरों के खिलाफ डी-होर्डिंग जैसे कई तरह के उपाय कर सकती हैं। यह कदम आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने तथा उचित मूल्य पर पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया।

रामविलास पासवान और प्याज के लिए चित्र परिणाम

स्टॉक लिमिट तय करेंगे राज्य
25 अगस्त को खाद्य मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक अब राज्य प्याज की भंडारण सीमा तय कर सकेंगे। उन्हें जमाखोरों, सट्टेबाजों और मुनाफाखोरों के खिलाफ कार्रवाई से जुड़े कदम उठाने का भी अधिकार होगा। पिछले कुछ हफ्तों में प्याज की कीमतों में हुई असामान्य वृद्धि के कारण यह निर्णय लिया गया है। पिछले कुछ हफ्तों में पुराना स्टॉक कम होने और इस बार खरीफ के बुवाई क्षेत्र में 20 से 30 प्रतिशत की कमी की आशंका से प्याज की कीमतें तेज हुई हैं। हाल में खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाने की मांग भी की है।

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