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केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट का झटका, नहीं चलेगी मनमानी, दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की मांग खारिज

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट में करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की केजरीवाल की मांग को ठुकरा दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार को एलजी की सलाह से ही काम करना होगा। एक हिसाब से सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उपराज्यपाल ही दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख है और उसे संज्ञान में लेकर, जानकारी देकर ही दिल्ली सरकार कोई फैसला ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली में भूमि, पुलिस और लोक व्यवस्था का मामला एलजी के ही अधीन रहेगा। अपने आदेश में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। भूमि, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर के मामले ही केंद्र सरकार के अधिकारक्षेत्र में रहेंगे। 

सुनवाई के दौरान केंद सरकार की दलील थी कि दिल्ली सरकार पूरी तरह से प्रशासनिक अधिकार नहीं रख सकती क्योंकि यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा। इसके साथ ही उसने 1989 की बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसने दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारणों पर विचार किया। केंद्र का तर्क था कि दिल्ली सरकार ने अनेक ‘गैरकानूनी’ अधिसूचनाएं जारी कीं और इन्हें हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। केंद्र ने सुनवाई के दौरान संविधान, 1991 का दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार कानून और राष्टूीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कामकाज के नियमों का हवाला देकर यह बताने का प्रयास किया कि राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और एलजी को राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक मामले में प्राथमिकता प्राप्त है।

जाहिर है कि इस फैसले के बाद अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आराजकता वाली राजनीति से दिल्ली की जनता को मुक्ति मिल जाएगी। अब दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के मुद्दे पर वो जनता को बरगला नहीं पाएंगे। हर बात के लिए केंद्र सरकार और राज्यपाल को जिम्मेदार ठहराने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनकी सरकार को अब दिल्ली की जनता से किए गए वादों को पूरा करना होगा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री काम धाम कुछ नहीं बवाल करो जमकर के फलसफे में विश्वास करते हैं। तभी तो पिछले दिनों करीब दस दिनों तक एलजी के घर पर सोफे पर एसी धरने के बाद केजरीवाल इलाज कराने बैंगलुरु चले गए और वहां से लौटते ही फिर अराजक राजनीति शुरू कर दी। डालते हैं केजरीवाल  की अराजक राजनीति पर एक नजर-

जनता की उम्मीदों पर फेल अरविंद केजरीवाल की ‘अराजक’ राजनीति
एलजी के आवास पर धरने के बाद अरविंद केजरीवाल ‘विपश्यना’ से हाल ही में लौटे हैं। लौटते ही उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आम आदमी पार्टी के महासम्मेलन का आयोजन किया। आप के सांसदों, मंत्री और विधायकों की मौजूदगी में इस महासम्मेलन को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, ”हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाकर ही दम लेंगे।” केजरीवाल ने यह भी कहा कि दिल्ली पहले मुगलों की गुलाम रही। फिर अंग्रेजों की हुई और अब एलजी की गुलाम है।

बहरहाल यह जानना आवश्यक है कि कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का मांग दिए जाने की मांग पुरानी है, लेकिन केंद्र सरकार ने बार-बार साफ कर दिया है कि यह संभव नहीं है। ऐसे में केजरीवाल एंड कंपनी दिल्ली के आम जनों का काम नहीं कर पूर्ण राज्य के मुद्दे को तूल देने में लग गई है। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कह दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। दरअसल यह अरविंद केजरीवाल की राजनैतिक हताशा भी है क्योंकि दिल्ली की जनता अब उनसे काम का हिसाब मांग रही है। जाहिर है पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर असफल सरकार अब पूर्ण राज्य के नाम पर मुद्दों को भटका रहे हैं।

 

राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनाने की दी धमकी

केजरीवाल ने अपनी ‘अराजक’ राजनीति का बड़ा हमला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांदी पर भी बोला है। उन्होंने कहा कि राहुल जी आप अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का समर्थन नहीं करते तो प्रधानमंत्री बनने का आपका सपना सपना ही रह जायेगा।

जाहिर है अरविंद केजरीवाल की इस बात में खीझ है, धमकी है और मजबूरी भी है। दरअसल बदले वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में अरविंद केजरीवाल जैसे सरीखे नेता विश्वसनीयता का संकट झेल रहे हैं। वे आम जनों के वादे पर तो खरे नहीं ही उतरे हैं उल्टा जनता ने उन्हें सबक सिखाने का मन भी बना लिया है।

वादा पूरा न कर पाने पर सवालों से बचने का बहाना बना रहे केजरीवाल
केजरीवाल ने सत्ता में आते समय जो-जो वादे किए थे उसपर वे फेल साबित हुए हैं। 1000 मोहल्‍ला क्‍लीनिकों के निर्माण का वादा किया था, लेकिन इन तीन वर्षों में अब तक महज 180 स्‍थापित हुई हैं, जिनमें 168 ही काम कर रही हैं। हर साल दो लाख पब्लिक टॉयलेट के निर्माण का वादा था, लेकिन केवल 21 हजार सामुदायिक टॉयलेट बना पाए। दिल्ली में 11 हजार नई बसें चलाने का वादा किया था और पांच नई बस डिपो का प्रस्‍ताव भी था, लेकिन वह भी पूरा नहीं कर सके। 20 नये डिग्री कॉलेज खोलने का वादा था, लेकिन एक भी नहीं खुला। पूरी दिल्ली को सीसीटीवी कैमरे लगाने, फ्री वाई-फाई, बसों में सीसीटीवी – मार्शल देने और अवैध कॉलोनियों को नियमित करने जैसे वादों पर तो सरकार एक कदम भी नहीं बढ़ पाई है।

केजरीवाल के तीन साल, अधूरे वादे-पब्लिक बेहाल

केजरीवाल का वादा तीन साल की हकीकत
1000 मोहल्ला क्लीनिक      180 बने, 168 चालू
हर साल दो लाख पब्लिक टॉयलेट     21 हजार बने
11 हजार नई बसें, 5 डीपो     एक भी नहीं
डीटीसी बसों में मार्शल, सीसीटीवी       कहीं भी नहीं
20 डिग्री कॉलेज      एक भी नहीं
दिल्ली में सीसीटीवी     एक भी नहीं
दिल्ली में फ्री वाई-फाई       किसी जगह नहीं

भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान भटकाने के लिए केजरीवाल का सियासी ड्रामा
सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने ना सिर्फ जनता से किए अपने वादे को तोड़ा बल्कि खुद आकंठ भ्रष्टाचार में डूब गए। आरोप है कि केजरीवाल की मिलीभगत से उनके रिश्तेदार सुरेंद्र कुमार बंसल ने फर्जी कागजातों के आधार पर कई कंपनियों के नाम पर काम लिए और फर्जी बिल बनाए। दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है। दिल्ली सीएम के सचिव रहे राजेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार में काम करने का ठेका दिया और उसके बदले में धन भी लिया। फिलहाल वे जमानत पर हैं। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर डेढ़ करोड़ और मंत्री सत्येंद्र जैन पर हवाला लिंक से 16.39 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप है। सत्येंद्र जैन की बेटी का मोहल्ला क्लीनक परियोजना में सलाहकार बनाना भी भ्रष्टाचार के दायरे में आता है।

जन लोकपाल का वादा पूरा न कर पाने की जवाबदेही से भाग रही आप सरकार
अरविंद केजरीवाल की अगुआई में आम आदमी पार्टी ने जन लोकपाल के मुद्दे पर 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। सरकार में आने के बाद 15 दिन में जन लोकपाल लाने का वादा भी किया था,  पर वो वादा अब तक अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी, 2014 को कांग्रेस से गठबंधन तोड़ जिम्मेदारी से भाग निकले। फिर 2015 में भी जन लोकपाल को मुद्दा बनाया, लेकिन सत्ता में तीन साल रहने के बाद भी जन लोकपाल बिल पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए।  गौरतलब है कि दिल्ली सरकार जन लोकपाल के मुद्दे को केंद्र के पाले में डालने की कोशिश कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि जन लोकपाल विधेयक केंद्र के पास नहीं बल्कि दिल्ली सरकार के प्रशासनिक विभाग के पास सितंबर 2017 से लंबित है।

…जब दिल्ली को लंदन बनाने चले थे केजरीवाल!
एमसीडी चुनाव के दौरान 6 मार्च, 2017 को अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर उनकी सरकार एमसीडी चुनाव में जीतती है तो वह दिल्ली को लंदन बना देंगे। लेकिन यू टर्न के उस्ताद दिल्ली के सीएम तो चुनाव से पहले ही अपनी बात से पलट गए थे। केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा कि दिल्ली को लंदन बना देंगे। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली को लंदन बनने की कोई जरूरत नहीं है।  हमारी सरकार केवल यहां की साफ-सफाई और व्यवस्था को विश्वस्तर का बनाएगी और यह केवल आम आदमी पार्टी की सरकार ही कर सकती है। बहरहाल दिल्ली की जनता ने इस बार उनके झूठे वादों पर ऐतबार नहीं किया और 2017 में एमसीडी के 270 सीटों में से 40 सीटों पर आप के चालीस प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त कर ली।

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