Home गुजरात विशेष मैं गुजरात में ‘विकास’ को वोट नहीं दूंगा, क्योंकि…

मैं गुजरात में ‘विकास’ को वोट नहीं दूंगा, क्योंकि…

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वर्तमान में गुजरात मॉडल और गुजरात के विकास को लेकर खूब तंज कसे जा रहे हैं। दुष्प्रचार, अफवाह और झूठ के आधार पर गुजरात की छवि नकारात्मक बनाने की कोशिश की जा रही है। गुजराती मान-सम्मान पर आघात किया जा रहा है, साढ़े छह करोड़ गुजरातियों को अस्पृश्य बनाने की साजिश रची जा रही है। सत्य का गला घोंटकर गुजरातियों के मनोबल को तोड़ने का षडयंत्र रचा जा रहा है। ये सब केवल इसलिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुजरात में शिकस्त दी जा सके, ताकि एक बार फिर गुजरात को जाति धर्म और समुदाय में बांटकर सियासी हित साधा जा सके, लेकिन वास्तविकता क्या है? क्या वाकई में गुजरात में विकास का सिर्फ ढोल पीटा गया है? क्या गुजरात में विकास केवल कागजों पर हुआ है? …तो क्यों न इस बार ऐसे विकास को, जिसपर सवाल उठाए जा रहे हैं, हरा दिया जाए… क्या ख्याल है?

24 घंटे बिजली से परेशान हूं…
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात में बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कई ऐसी योजनाएं बनाई गईं जिसने प्रदेश की तस्वीर बदल दी है। आज ये गुजरात की शक्ति है। बिजली उत्पादन और उसके वितरण प्रणाली में सुधार किए गए। औद्योगिक इकाइयों को बिजली मिलने में सहूलियत दी गई। बिजली चोरी के खिलाफ अभियान शुरू किया गया। ज्योति ग्राम योजना के तहत गांवों में 24 घंटे बिजली दी गई। इस योजना ने तो जैसे क्रांति ही ला दी। अब राज्य के 18,066 गांवों में भी 24 घंटे बिजली है। आज गुजरात लगभग 29 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन कर रहा है और सरप्लस बिजली हरियाणा और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों को बेच भी रहा है। साल 2012 में नेशनल ग्रिड के फेल होने की वजह से जहां देश के 19 राज्यों में दो दिनों तक अंधेरा छा गया था तब गुजरात अपनी बिजली से जगमग कर रहा था।

15 सालों में कोई दंगा नहीं हुआ…
जिस 2002 के दंगे को लेकर गुजरात को बदनाम करने की साजिश होती रही है। इसमें कई राजनीतिक दलों और मीडिया के एक वर्ग ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। इसका दूसरा पहलू यह है कि पिछले 15 वर्षों में गुजरात में कोई साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ है। इतना ही नहीं गुजरात दंगे के आरोपियों को जितनी तेजी से सजा दिलाई गई है उसका किसी भी प्रदेश में दूसरा उदाहरण नहीं है। दरअसल न्यायपूर्ण सहअस्तित्व की नीति के साथ गुजरात में कानून व्यवस्था परफेक्ट है। गुजरात में कानून का राज कायम करके लोगों में भय का निवारण किया गया है। गांव से लेकर शहरों तक में सुरक्षा का ऐसा माहौल है जो लोगों को निर्भय वातावरण दे रहा है। हर एक नागरिक खुद को संपूर्ण सुरक्षित महसूस कर रहा है।

गुजरात में 12 वर्षों में दंगा नहीं के लिए चित्र परिणाम

टॉप-5 में है गुजरात की आमदनी…
आजादी के बाद से ही गुजरात देश की अर्थव्यवस्था में ग्रोथ इंजन की भूमिका निभाता रहा है। समय के साथ हुई प्रदेश की आर्थिक प्रगति ने देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान की है। आर्थिक उदारीकरण का लाभ उठाते हुए गुजरात ने अपनी जीडीपी को मजबूत बनाया और वर्तमान में ग्रोथ रेट के हिसाब से गुजरात सबसे आगे है। गुजरात की जीडीपी 150 अरब डॉलर के आसपास है, जो हंगरी और यूक्रेन के मुकाबले अधिक है और पाकिस्तान जैसे देश से थोड़ा ही पीछे है। गुजरात में प्रति व्यक्ति आय 122,502 रुपये सालाना है। आप यूं कह सकते हैं कि गुजरात को बदनाम करने की कोशिशों के बीच ये आंकड़े गुजरात की समृद्धि ही तो बताती है।

सबसे कम बेरोजगार गुजरात में हैं…
गुजरात के 6.04 करोड़ लोगों में से लगभग 3.57 करोड़ लोग ऐसे हैं जो कोई काम नहीं कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर लोग घरेलू कार्य करते हैं। यह आंकड़ा 2011 की जनगणना का है। आंकड़ों से यह पता चलता है कि गुजरात की 3.57 करोड़ जनसंख्या में से केवल नौकरी की तलाश करने वालों की संख्या 3.57 प्रतिशत है। प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो गुजरात में नौकरी की तलाश कर रहे लोगों की संख्या देश में सबसे कम है। अब आप समझ लीजिए कि किस तरह गुजरात में बेरोजगारी का सवाल उठाकर पाटीदार समुदाय को भड़काया गया और गुजरात में आग लगाने की कोशिश की गई।

गुजरात के सभी गांवों में पक्की सड़कें हैं…
नरेंद्र मोदी के 12 वर्षों के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्‍य के 98.7 प्रतिशत गांवों को पक्‍की सड़कों के जरिए जोड़ा जा चुका था। गुजरात की ग्रामीण सड़कें पूरे देश में सबसे अच्‍छी मानी जाती हैं। सड़कों में सुधार से पर्यटन में भी बड़ी वृद्धि हुई है। 2005-06 में जहां 60 लाख पर्यटक गुजरात आते थे अब ये संख्या दो करोड़ से ज्यादा है। दरअसल ‘सड़कों से आती है समृद्धि’ – के मूल मंत्र को लेकर आगे बढ़ते हुए तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने 2001 के बाद सड़क निर्माण में संस्थागत सुधार किए गए। शहरों में ढुलाई के रास्ते, खेतों से उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने वाले रास्ते और पर्यटक स्थलों तक तुरंत ले जाने वाले रास्तों को सबसे पहले ठीक किया गया।

गुजरात के गांवों में सड़कें के लिए चित्र परिणाम

गुजरात में महिलाएं आजादी से घूमती हैं…
महिला विकास के क्षेत्र में गुजरात आज उस मुकाम पर खड़ा है जहां से प्रेरणा लेकर देश के दूसरे राज्य भी उसका अनुसरण कर रहे हैं। बेटी बचाओ जैसा अभियान तो अब देशव्यापी बन गया है। आज गुजरात में संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की संख्या देश में सबसे ज्यादा 57.47 है, जबकि देश में यह प्रतिशत 53.26 प्रतिशत है। वहीं गुजरात के प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 42.53 प्रतिशत है। गुजरात में कानून-व्यवस्था इतनी जबरदस्त है कि रात के 12 बजे भी महिलाएं निडर होकर घूमती हैं और कानून उनका संरक्षण करता है। नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू की गई चिरंजीवी योजना, नारी गौरव नीति, मातृ वंदना योजना, महिला स्वाबलंबन, महिला सुरक्षा, महिला नेतृत्व, महिला आरोग्य, महिला कृषि, महिला शिक्षण, महिला स्वच्छता जागृति, महिला कल्याण, महिला बाल पोषण जागृति, महिला कर्मयोगी, महिला और कानून, महिला श्रमयोगी, महिला शारीरिक सौष्ठव जैसी योजनाएं गुजरात की महिला विकास के हर पहलू को सार्थक कर रही है।

गुजरात की पंचायतें जो सशक्त हैं…
इमारत बुलंद बनानी हो तो पहले उसकी नींव मजबूत करो। 2001 में जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली तो विकास के हर पैमाने पर पिछड़े गुजरात की बुनियाद को ठीक करने की ठानी। दरअसल गुजरात मॉडल पर बहस कभी रुकती नहीं, लेकिन गुजरात के गांव आएंगे तो आपको इस मॉडल की सही जानकारी मिल पाएगी। समग्र विकास की धारणा के साथ कार्य करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते गुजरात में जितना विकास शहरों का किया उतना ही गांवों के विकास पर भी फोकस किया। उन्होंने गांवों को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए कई पहल किए हैं। समरस पंचायतें और ई ग्राम जैसी योजनाओं ने जहां गांव के विकास को रफ्तार दी है। वहीं वतन सेवा जैसी योजनाओं के जरिये प्रवासी भारतीयों को भी अपने गांवों से जुड़ने का अवसर प्रदान किया है।

गुजरात नुं गौरव से चिढ़ है मुझे…
ये सच है कि गुजरात का विकास और नरेंद्र मोदी एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। राज्य के छह करोड़ लोगों की मेहनत से गुजरात की धमक आज पूरी दुनिया में है। अब ‘गुजरात नुं गौरव’ शब्द छह करोड़ गुजरातियों की शान है। गुजराती अस्मिता और स्वाभिमान शब्द गुजरात के करोड़ों जनमानस को गहरे तक छूता है। आज उनकी अथक मेहनत और संकल्प शक्ति के कारण ही देश-दुनिया में ‘गुजराती मान-सम्मान’ को नया आयाम मिला है। ‘केम छो’ को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है, और ‘गुजरात नुं गौरव’ शब्द राज्य की छह करोड़ जनता की आन-बान-शान बन गई है। आज जब देश-दुनिया में गुजरात मॉडल की चर्चा कर राज्य के विकास की नजीर दी जाती है तो गुजराती अस्मिता को नया आयाम मिलता है।

गुजरात के गांव मॉडल जो बन गए…
जहां न कोई राजनीतिक विद्वेष हो, जहां न जातियों का क्लेश हो, जहां न धर्मों का कोई भेद हो, जहां सिर्फ सर्वसहमति हो… इसी कंसेप्ट के तहत गुजरात में विकसित हुई हैं समरस पंचायतें। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने इसकी शुरुआत की थी। इसके तहत वैसे गांव जहां सरपंच का चुनाव सर्वसम्मति से होता हो, उसे समरस पंचायतों का दर्जा दिया गया। इसके तहत ऐसी पंचायतों को सरकार अतिरिक्त सहायता देती है जो गांवों के विकास में काम आता है। गुजरात ने इस कंसेप्ट को खुले दिल से अपनाया और आज ये पंचायतें कई क्षेत्रों में देश को दिशा दिखा रहे हैं। गुजरात की 13,693 पंचायतों में 41 प्रतिशत पंचायतें, समरस पंचायतों का दर्जा पा चुकी हैं। इसके साथ ही प्रदेश के लगभग सभी गांवों में इंटरनेट की सुविधा पहुंची हुई है और 26 जिले और 226 तालुका एक नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं।

गुजरात में सबका साथ, सबका विकास जो है…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में गुजरात बसता है। गुजरात की अस्मिता और स्वाभिमान का सम्मान और प्रदेश का संपूर्ण विकास उनका लक्ष्य है और इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने 12 वर्षों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते गुजरात को गढ़ने का कार्य किया। बीते डेढ़ दशक में इस पर गहरा आघात किया जाता रहा है। मोदी विरोध में हर पल गुजरात को बदनाम करने की राजनीति होती रही है। जिस गुजरात ने महात्मा गांधी जैसा महापुरुष दिया उस गुजरात की आत्मा को चोट पहुंचाई जाती रही है। जिस गुजरात ने सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसा लौहपुरुष दिया उस गुजराती जनमानस के स्वाभिमान को तोड़ने की हर कोशिश की गई है। जिस गुजरात ने दयानंद सरस्वती जैसा युगपुरुष दिया उस गुजरात को घाव देने का कुत्सित प्रयास होता रहा है।

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