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केजरीवाल ने मोदी विरोध में दिल्लीवासियों का किया बेड़ागर्ग

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दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने नजरिए से दिल्ली का विकास करना चाहते हैं, जिसमें दिल्ली वासियों के रहने के लिए मकान बनाने की उन्हें कोई जरुरत नजर नहीं आती है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल में सभी को 2022 तक एक ऐसा घर देने पर जोर है जहां पानी, बिजली के साथ-साथ सभी आधुनिक सुविधाएं मिलें। ऐसे एक लाख घर दिल्लीवासियों के लिए 2022 तक बनाने की प्रधानमंत्री की योजना है, लेकिन केजरीवाल पानी की कमी का बहाना बताकर इस योजना को पूरा होने नहीं देना चाहते हैं। पिछले महीने ही बिना किसी मंत्रालय के मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है।
मामला क्या है?
सभी को 2022 तक आवास देने की योजना के तहत दिल्ली में डीडीए लैंडपूलिंग करके एक लाख मकान की योजना तैयार कर चुकी है, इसे लागू करने की कवायद चल रही है। दिल्ली जल बोर्ड का कार्यभार संभालने वाले मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि यह योजना लागू नहीं हो सकती, क्योंकि डीडीए द्वारा बनाये जाने वाले इन मकानों के पानी की जरुरत को दिल्ली जल बोर्ड पूरा नहीं कर सकता है। उनकी दलील है कि इस समय दिल्ली को 900 मिलीयन गैलन पानी मिलता है जबकि उसे 1200 मिलीयन गैलन पानी की प्रतिदिन की जरूरत है। केजरीवाल कहते हैं कि दिल्ली को वैसे ही 300 मिलीयन गैलन पानी की कमी है, जो निकट भविष्य में पूरी नहीं होने वाली है, इसलिए इन मकानों को नहीं बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री के मना करने के बाद मामला उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास पहुंचा है, जिन्होंने डीडीए और दिल्ली जल बोर्ड को एक कन्सलटेंट को नियुक्त कर इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा है, लेकिन मुख्यमंत्री की मंशा इस योजना को लागू नहीं होने देने की है।
दिल्ली में वाकई क्या पानी की कमी है
मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार और लेटलतीफी को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं तो पानी की कमी पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। वास्तविकता यह है कि पुरानी और टूटी हुई जल बोर्ड की पाइपों से 40 प्रतिशत तक जल की चोरी या बरबादी होती है। 900 मिलियन गैलन पानी का 40 प्रतिशत यानि 360 मिलियन गैलन पानी दिल्ली की किसी गरीब के पास नहीं पहुंच पाता है और केजरीवाल 300 मिलियन गैलन पानी की कमी का बहाना बना रहे हैं। मुख्यमंत्री, यदि जल बोर्ड के कामकाज में ही सुधार कर दें तो दिल्ली में पानी की समस्या का अंत हो जाएगा, इस तरह से बनने वाले नये मकानों के लिए भी पानी की व्यवस्था करना आसान हो जाएगा।
केजरीवाल, क्यों दिल्ली का विकास नहीं होने देना चाहते
अरविंद केजरीवाल ने जिस राजनीति को बदलने के लिए सत्ता का दामन थामा था, आज उसी राजनीति में रच-बस गये हैं। आधारहीन आरोप लगाकर राजनीति को शुरू में चमका तो लिया, लेकिन जब से मानहानि के मुकद्दमों में न्यायालय के चक्कर लगाने पड़े हैं और जुर्माना देना पड़ रहा है तब से इस तरह की राजनीति से उन्होंने तौबा कर ली है, लेकिन अडंगा लगाने की अपनी आदत अभी भी नहीं छोड़ी है। वे जानते हैं कि घरों की जरूरत पूरी होते ही गरीबों को एक जबरदस्त भावनात्मक और आर्थिक सहारा मिल जायेगा, जिससे सभी गरीबों के दिलों में प्रधानमंत्री मोदी बस जायेगें, और वह ऐसा कदापि नहीं होने देना चाहते हैं। ऐसा यह पहली बार नहीं हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्लीवासियों के फायदे को नकारते हुए प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं का विरोध किया है।

स्‍वच्‍छ भारत मिशन से दूरी
आंकड़े बताते है कि स्‍वच्‍छ भारत मिशन के तहत अक्टूबर 2016 तक, दो साल के दौरान दिल्‍ली ने किसी भी घर में टॉयलट नहीं बनवाया था। जबकि, स्‍वच्‍छता मिशन के तहत 2019 तक दिल्‍ली के 1.25 लाख घरों में टॉयलट बनाने का टारगेट है। इसके अलावा कम्‍युनिटी और पब्लिक टॉयलट्स के तहत शहर में अक्टूबर 2016 तक सिर्फ 7,088 टॉयलट्स ही बन पाये थे जबकि टारगेट 19,559 टॉयलट्स का था। शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार इन टारगेट्स को मंत्रालय की ओर से एकतरफा तरीके से निश्चित नहीं किया गया था। ये टारगेट्स दिल्‍ली सरकार द्वारा शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत करके निर्धारित किए गये थे।

विकास के मामले में पिछड़ रही दिल्ली
दिल्‍ली जिन विकास योजनाओं के मामले में पिछड़ रही है, उनमें AMRUT भी प्रमुख है। इस योजना के तहत देशभर के 500 शहरों में शहरी नवीनीकरण किया जा रहा है। वित्‍त वर्ष 2015-16 में दिल्‍ली ने वित्‍त वर्ष के आखिरी महीने मार्च में अपना सालाना ऐक्‍शन प्‍लान अप्रूवल के लिए मंत्रालय को भेजा था। 2016-17 के दौरान भी मंत्रालय से कई रिमाइंडर भेजने के बाद, आखिरी वक्त में दिल्ली का प्लान जमा किया गया। अभी तक इस योजना पर दिल्ली सरकार बहुत ही धीमी गति से काम कर रही है ताकि उसे केन्द्र सरकार की योजनाओं को कोसने का भरपूर मौका मिल सके और चुनावी लाभ लिया जा सके।केजरीवाल, मोदी फोबिया से क्यों ग्रस्त हैं
अरविंद केजरीवाल अपने बारे में मानते हैं कि उनके पास ही सभी समस्याओं का हल है और उनके अलावा देश के सभी नेता भ्रष्ट हैं। वह यह भी मानते हैं कि उनके अतिरिक्त देश का कोई अन्य व्यक्ति देश का भला नहीं कर सकता है, लेकिन उनके इस अहम भाव को प्रधानमंत्री मोदी की कार्यकुशलता और चुनावी जीत ने तोड़ कर रख दिया है, इसलिए किसी न किसी बहाने प्रधानमंत्री मोदी को अपने से छोटा साबित करने के लिए केन्द्र की योजनाओं में अडंगा लगाते रहते हैं और अपनी खीझ वैसे ही निकालते हैं, जैसे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचती है।

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