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राहुल गांधी के खास कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने फैलाया झूठ, अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताया

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कांग्रेस पार्टी के नेता हर तरह से अपने अध्यक्ष राहुल गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। जिस प्रकार राहुल गांधी कदम-कदम पर झूठ बोलते हैं, गलत आंकड़े बोलते हैं, उसी तरह उनकी पार्टी के नेता भी सिर्फ और सिर्फ झूठ फैलाने में विश्वास रखते हैं। हद तो यह है कि लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद भी कांग्रेस के नेता कोई सबक सीखने को तैयार नहीं हैं। इस बार झूठ बोलने और भ्रम फैलाने की कमान राहुल गांधी के सबसे खास हार्दिक पटेल ने संभाली है।

एयरफोर्स के लापता विमान एएन-32 को लेकर कांग्रेस ने देश में भ्रम फैलाने की नीच राजनीति शुरू कर दी है। कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने गायब विमान का चीन से कनेक्शन जोड़ दिया है। हार्दिक ने अरुणाचर प्रदेश को चीन का हिस्सा बता दिया है। साथ ही भड़काऊ ट्वीट करते हुए लिखा कि मोदी जी आप चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दीजिए।

सवाल ये है कि क्या कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को नहीं पता कि गायब विमान अरुणाचल प्रदेश में मिला है, वो चीन में है या भारत में।

इसके बाद भी जिस प्रकार कांग्रेस नेता ने चीन को लेकर भड़काने का जो प्रयास किया है, उससे लोगों में भारी गुस्सा नजर आ रहा है।

दरअसल झूठ बोलना, भ्रम फैलाना ही कांग्रेस पार्टी की संस्कृति है और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी झूठों के सरदार हैं। डालते हैं राहुल के झूठ पर एक नजर-

न्यूनतम आय गारंटी के कांग्रेसी वादे में अधिकतम झूठ से शुरू हुआ राहुल का चुनावी दुष्प्रचार
कहते हैं, झूठ के पांव नहीं होते, इसलिए वह ज्यादा दूर तक नहीं चल पाता। उसकी सच्चाई जल्द ही उजागर हो जाती है और वह पकड़ा जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सिलसिले में यह कहावत सौ फीसदी लागू होती है। भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी पर झूठे आरोप मढ़ने की बात हो या फिर जनता से झूठे वादे करने की बात- राहुल गांधी का इसमें कोई सानी नहीं है। राफेल और किसान कर्जमाफी से लेकर न्यूनतम आय गारंटी तक के चुनावी सब्जबाग तक राहुल के झूठ के रंग हजार हैं !   कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बड़े तामझाम के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यूनतम आय गारंटी योजना का चुनावी वादा कर दिया। इस योजना का एलान करते समय ही राहुल कन्फ्यूज्ड दिखे। उन्होंने कहा कि देश के 20 प्रतिशत गरीबों को 12 हजार रुपये महीने के हिसाब से साल में 72 हजार रुपये दिए जाएंगे। फिर साफ किया गया कि अगर किसी परिवार की आय 6 हजार रुपये महीना है, तो सरकार उसे 6 हजार रुपये महीना ही देगी। यानी सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि हर परिवार की आय कम से कम 12 हजार रुपये मासिक हो। यहां तक तो ठीक है। लेकिन, यह हिसाब कैसे लगा लिया गया कि प्रत्येक परिवार को 72,000 रुपये सालाना दिए जाएंगे। मान लीजिए, किसी परिवार की आय दो हजार रुपये मासिक है, तो उसे साल में 1,20,000 रुपये दिए जाएंगे, जबकि राहुल ने यह आंकड़ा 72,000 ही बताया। 

दरअसल, चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए लोग संघर्ष की पथरीली राहों पर नहीं चल सकते। यही वजह है कि राहुल गांधी देशवासियों के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की बजाय सिर्फ उन्हें झूठ के सब्जबाग दिखाते हैं। राहुल के झूठ की फेहरिस्त लंबी है।

पंजाब विधानसभा चुनाव हो, कर्नाटक विधानसभा का चुनाव हो या फिर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव- इन सभी मौकों पर राहुल गांधी ने किसानों को कर्जमाफी का लॉलीपॉप दिखाया। देश के भोले-भाले किसानों ने इस झूठ की चपेट में आकर कांग्रेस को वोट भी कर दिया। लेकिन, मध्यप्रदेश में सरकार बनने के सिर्फ 10 दिन के भीतर कर्जमाफी कर देने का वादा करने वाली कांग्रेस पार्टी ने किसानों के साथ भद्दा मजाक किया। कर्जमाफी के नाम पर उन्हें 5 और 13 रुपये तक के चेक दिए गए। किसानों को बोनस देने और फसलों पर मार्केट रेट से चार गुना कीमत देने के वादे पूरी तरह हवा-हवाई साबित हुए। वादे के मुताबिक न तो कर्जमाफी हुई और न ही कर्जमाफी लागू नहीं करने वाले मुख्यमंत्री बदले गए। उल्टे, कर्नाटक में किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकाले जा रहे हैं।

इन राज्यों में सरकार बनाने के बाद राहुल के सुर ही बदल गए। उन्होंने कहा- कर्जमाफी सॉल्यूशन नहीं है। सॉल्यूशन ज्यादा कॉम्पलैक्स होगा। सॉल्यूशन किसानों को सपोर्ट करने का होगा, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का होगा, टेक्नॉलजी बनाने का होगा और सॉल्यूशन बहुत चैलेंजिंग होगा।जीएसटी लागू होने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस के पास जीएसटी की जो परिकल्पना थी, वो जीवन को आसान बनाने से जुड़ी हुई थी, लेकिन, अब यह जटिल हो गया है। राहुल ने गरीब और आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाली चीजों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की भी बात कही थी। लेकिन, सच्चाई यह है कि यूपीए के दस वर्षों के शासन में कांग्रेस पार्टी जीएसटी को लेकर तमाम राज्यों के बीच आम राय नहीं बना पाई थी, क्योंकि उसका जीएसटी को लेकर कोई साफ रुख नहीं था। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी तो उसने नए सिरे से जीएसटी को लेकर कवायद शुरू की और सभी राज्य सरकारों के बीच इसे लेकर सहमति बनाई।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर भी झूठ बोला है। राहुल गांधी ने दावा किया था कि आरएसएस के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी लागू की थी। उन्होंने कहा कि संघ परिवार के एक खास विचारक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था। हालांकि, अपने बयान के पक्ष राहुल गांधी कोई सबूत नहीं दे पाए थे। राहुल गांधी का यह बयान भी सरासर झूठा है। सच्चाई यह है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और कालाधन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद नोटबंदी का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी भी कह चुके हैं कि नोटबंदी का पहला विचार फरवरी 2016 में आया था और सरकार ने विमुद्रीकरण के बारे में रिजर्व बैंक की राय मांगी थी। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने पहले तो सरकार को मौखिक रूप से इस पर राय दी। बाद में एक विस्तृत नोट बनाकर सरकार को भेजा गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि नोटबंदी की खामियां और खूबियां क्या-क्या हैं। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का ऐलान किया गया था। इसके फायदे भी आपके सामने हैं नोटबंदी के बाद जहां डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला, वहीं कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में सफलता मिली।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर भी लगातार झूठ बोलते रहे हैं। राहुल गांधी इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश में लगे हैं। राहुल का आरोप है कि यूपीए सरकार द्वारा 2012 में राफेल विमान के तय किए गए मूल्य से 3 गुना ज्यादा देकर एनडीए सरकार ने यह सौदा मंजूर किया है। राहुल कहते हैं कि लागत 526 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,570 करोड़ रुपये हो गई है। राहुल गांधी के आरोपों से इतर हकीकत यह है कि ये विमान उड़ने की स्थिति में खरीदे जा रहे हैं और इसके तहत 12,600 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इस बचत में फ्लायवे हालत में विमान के अधिग्रहण की लागत 350 मिलियन यूरो और हथियार, रखरखाव और प्रशिक्षण के 1300 मिलियन यूरो शामिल है। दरअसल यूपीए सरकार के समय सिर्फ 18 विमान ही सीधे उड़ने वाली हालत में भारत आने थे, लेकिन अब इन विमानों की संख्या 36 तक बढ़ गई। फ्रांस इस सौदे की कीमत करीब 65 हजार करोड़ चाहता था, लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के प्रयासों से सौदे की कीमत कम हो गई।

राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में विकास की योजनाओं को लेकर भी मोदी सरकार पर झूठे आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार के आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी, उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनिवर्सिटी के लिए 360 करोड़ रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं, रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने की कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।

अगस्त, 2013 में राहुल ने इलाहाबाद के पंडित गोविन्द वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति है। इसका भोजन, रुपये या भौतिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने यहां तक कहा कि जबतक आदमी खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, उसकी गरीबी खत्म नहीं होगी।’ आप खुद समझ सकते हैं कि जिस पार्टी ने कभी गरीबी हटाओ का नारा दिया हो, उसका वर्तमान अध्यक्ष गरीबी को लेकर क्या सोचता है। यही कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का दोहरापन है। 

राहुल गांधी ने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान “22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी से महिला सुरक्षा, पोषण और महिला साक्षरता से जुड़ा सवाल पूछा था, लेकिन इस सवाल के साथ राहुल ने जो इन्फोग्राफिक्स पोस्ट किया था, उसमें गुजरात की महिला साक्षरता के गलत आंकड़े दिखाए थे। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि 2001 से 2011 के बीच गुजरात में महिला साक्षरता दर में 70.73 से गिरकर 57.8 फीसदी हो गई है। राहुल गांधी ने जो आंकड़े दिखाए थे वे सरासर गलत थे। सही आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2001 से 2011 के बीच महिला साक्षरता में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि 1991 से 2001 के बीच हुई 8.9 फीसदी बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है।

24 नवंबर 2017 को गुजरात में दो रैलियों में राहुल गांधी ने बेरोजगारी के अलग-अलग आंकड़े पेश कर दिए। 24 नवंबर को पोरबंदर में राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात में 50 लाख बेरोजगार युवा क्यों हैं? वहीं, उसी दिन अहमदाबाद में चुनावी सभा में कहा कि गुजरात में 30 लाख बेरोजगार क्यों हैं?

राहुल गांधी ने गुजरात में पाटीदारों को कहा कि मोदी सरकार के लिए शर्मनाक है कि नर्मदा नदी पर बनने वाला Statue of Unity सरदार पटेल की प्रतिमा made in China होगी। जबकि, सच्चाई यह है कि इस मूर्ति को भारतीय शिल्पकार राम वी. सुतार ने बनाया है।

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