नोटबंदी और जीएसटी को लेकर देश में किए जा रहे दुष्प्रचार के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर आई है। भारत ने विश्व की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 में 30 अंको की जबदस्त उछाल हासिल किया है। अब भारत विश्व की ओवरऑल रैंकिंग में 100 वें स्थान पर आ गया है, जो कि पिछले साल 130 वें स्थान पर था। इसमें विशेष बात यह है कि किसी भी देश द्वारा लगाई गई अब तक की यह सबसे बड़ी उछाल है। इसके साथ ही भारत इस Jump के बाद दुनिया में 10 सबसे बड़े सुधार करने वाले देशों में शामिल हो गया है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम, समर्थ व स्पष्ट नेतृत्व के कारण भारत में कारोबारी माहौल बेहतर हुआ है और व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया भी सरल हो गई है।
EPT में जबरदस्त जम्प
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसा, ईज ऑफ पेइंग टैक्स में भारत 53 स्थानों की छलांग लगाकर 119वें स्थान पर आ गया है। इससे पहले भारत का स्थान 172वां था। Resolving insolvency की रैंकिंग में भारत का स्थान 136वां था, जो कि अब 33 नंबर के उछाल के साथ 103वें पर आ गया है। नया व्यापार शुरू करने के लिहाज से भारत 156वें स्थान पर है लेकिन कई ऐसी इनीशिएटिव्स हैं जिनपर काम किया जा रहा है। हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक ऐसा देश है, जो संरचनात्मक सुधारों का काम कर रहा है।
कई मामलों में चीन से बेहतर है भारत
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2018 की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत उद्योग जगत को एक बेहतर माहौल देने में अभी चीन से होड़ में है। चीन को समग्र तौर पर 78वां स्थान दिया गया है जबकि भारत का स्थान सौवां है। कर अदायगी के मामले में भारत का स्थान 119वां है जबकि चीन को 130वां स्थान मिला है। छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के मामले में भारत को चौथा स्थान दिया गया है जबकि चीन का स्थान 119वां है। कर्ज लेने के मामले में भारत को 29वें, जबकि चीन 68वें स्थान पर है। बिजली कनेक्शन लेने के मामले में भी चीन से बेहतर स्थिति भारत की है।
क्षेत्रवार रैंक | ब्राजील | रूस | भारत | चीन | दक्षिण अफ्रीका |
ओवरऑल रैंक | 125 | 35 | 100 | 78 | 82 |
व्यवसाय शुरु करना | 176 | 28 | 156 | 93 | 136 |
निर्माण प्रमाण पत्र | 170 | 115 | 181 | 172 | 94 |
बिजली कनेक्शन पाना | 45 | 10 | 29 | 98 | 112 |
संपत्ति पंजीकरण | 131 | 12 | 154 | 41 | 107 |
कर्ज पाना | 105 | 29 | 29 | 68 | 68 |
लघु निवेशकों के हितों की रक्षा | 43 | 51 | 4 | 119 | 24 |
टैक्स का भुगतान | 184 | 52 | 119 | 130 | 46 |
सीमा पार कारोबार | 139 | 100 | 146 | 97 | 147 |
दक्षिण एशिया से केवल भारत शामिल
सबसे बेहतर सुधार करने वाले शीर्ष 10 देशों में दक्षिण एशिया और ब्रिक्स समूह से सिर्फ भारत ही शामिल किया गया है। अपनी रैकिंग में सबसे ज्यादा सुधार करने वाले देशों में भारत का स्थान पांचवां है। भारत ने अपनी रैंकिंग सुधारने की दिशा में कई स्तरों पर गंभीर प्रयास किया है। ब्रिक्स देशों से भारत की तुलना करें तो रूस का स्थान 35वां है। उसके बाद चीन (78वें), दक्षिण अफ्रीका (82वें) और भारत का स्थान है। ब्राजील 125वें स्थान पर है।
टॉप 50 में आने का लक्ष्य
रैंकिंग तय करने के 10 पैरामीटर होते है जिनमें से भारत ने आठ में सुधार किया है। इसके साथ ही अब भारत में बिजनेस करना आसान हो गया है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से केंद्र सरकार की कमान संभाली है दुनिया में भारत का रुतबा बढ़ा है। विदेश हो या रक्षा मामले, सामाजिक सरोकार हो या कारोबार… सब में मोदी सरकार ने प्रदर्शन के बल पर नई ऊंचाइयों को प्राप्त किया है। अब सरकार का लक्ष्य ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में दुनिया के टॉप 50 देशों में शामिल होना है।
जीएसटी का होगा बड़ा रोल
विश्व बैंक की यह रिपोर्ट को 1 जून, 2017 तक के रिफॉर्म और नीतियों के आधार पर तैयार किया गया है। जबकि जीएसटी 1 जुलाई से लागू किया गया है। इस वजह से रैंकिंग सुधार में जीएसटी की भूमिका इस साल नहीं दिखाई दी है। हालांकि अगले साल जीएसटी व्यापार सुगमता में भारत की रैकिंग सुधारने का सबसे बड़ा सुधार साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बैंक, विश्व बैंक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने जीएसटी पर भरोसा जताया है। जीएसटी को इकोनॉमी को लंबी अवधि में सहारा देने वाला भी बताया गया है। विश्व बैंक के अनुसार ईज ऑफ डूइंग बिजने के मामले में रैंकिंग तय करने के लिए 11 पैरामीटर्स तय किए गए थे, जो ये हैं –
- बिजनेस शुरुआत करने का माहौल
- कंस्ट्रक्शन परमिट में सुगमता
- लेबर मार्केट को रेग्युलेट करने के लिए उठाए गए कदम
- देश में बिजली का दायरा कितना बढ़ा
- प्रॉपर्टी रजिस्टर करने में कितनी सुगमता
- कर्ज लेना कितना जटिल या आसान
- छोटे शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए
- सीमा पार व्यापार के मामले में देश की क्या स्थिति
- कर भुगतान के मामले में किसी देश का प्रदर्शन कैसा
- कॉन्ट्रैक्ट्स को कितने प्रभावी तरीके से लागू किया गया
- दिवालिया मामलों का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाए गए
सबसे बड़ा आश्चर्य है भारत
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट लिखने वालों के अनुसार इस साल का सबसे बड़ा आश्चर्य भारत है। उसकी रैंकिंग 30 पायदान सुधरी है और उनका अंक 4.71 बढ़कर 60.76 अंक पहुंच गया है। इसमें यह जानना आवश्यक है कि इस साल जीएसटी सुधारों पर गौर नहीं किया गया है, इस पर अगले साल की रिपोर्ट में विचार किया जाएगा। साफ है कि जीएसटी का आंकलन होने के बाद भारत की रैंकिंग और सुधर जाएगी। भारत के इस प्रदर्शन के लिए विश्व बैंक ने सरकार द्वारा लिए गए चार निर्णयों को जिम्मेदार ठहराया है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में इन निर्णयों का खास तौर पर जिक्र किया है और इन्हें व्यापार सुगमता के लिए अहम माना है।
SPICe फॉर्म
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने कारोबारियों के लिए व्यापार आसान करने के लिए अलग-अलग फॉर्म्स की संख्या घटाई। व्यापार निगमन के लिए सरकार ने SPICe फॉर्म जारी किया और इसके साथ पैन को भी क्रमबद्ध कर दिया।
दिवालिया कानून
विश्व बैंक ने सरकार के दिवालिया कानून लाने की प्रशंसा की है। बैंक ने कहा है कि भारत सरकार ने दिवालिया कानून में संशोधन कर ना केवल कर्ज लेने वालों की राह आसान की है, बल्कि इसके साथ इस कानून के जरिये सरकार ने कॉरपोरेट कर्ज (कर्जदार कारोबारी) के लिए भी पुनगर्ठन प्रक्रिया पेश की है।
टैक्स सुधार
विश्व बैंक ने टैक्स सुधार के लिए उठाए गए कदमों की भी सराहना की है। बैंक ने पीएफ फंड का भुगतान करने के लिए ऑनलाइन माध्यम शुरू करने के फैसले को सराहा है। इसके साथ ही ने कर सुधार के लिए सरकार की तरफ से उठाए गए अलग-अलग कदमों की भी तारीफ की है।
बैड लोन
बैंकों के ऊपर पड़े गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों ने भी भारत की रैंकिंग सुधारने में मदद की है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल का गठन कर के एनपीए की संख्या 28 फीसदी कम हुई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने बड़ी रकम के लोन पर लगने वाले ब्याज दर में भी राहत दी है। इसके जरिये सरकार ने कर्ज की त्वरित वसूली करने के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित की है।
प्रधानमंत्री मोदी की लीडरशिप में बढ़ेगा भारत-विश्व बैंक
दक्षिण एशिया के लिए वर्ल्ड बैंक की वॉइस प्रेसिडेंट एन्नेट डिक्सन ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि इस साल भारत दुनिया भर के टॉप-10 उन देशों में से है, जिन्होंने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में खुद की रैंकिंग को बढ़ाया है और अपनी रैंकिंग को 30 स्थान ऊपर कर लिया है। उन्होंने कहा है कि अगर भविष्य में भी ऐसी ही लीडरशिप और को-ऑर्डिनेशन देखने को मिला तो हमें उम्मीद है कि भारत आने वाले सालों में भी अच्छी तरक्की करेगा।
अर्थशास्त्र के जानकारों ने की सराहना
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की प्रशंसा देश के अर्थशास्त्री, बैंकर्स और उद्योगपति भी कर रहे हैं। इनका कहना है कि GST के क्रियान्वयन के चलते भविष्य में Ease of doing business की रैंकिंग में और सुधार दिखेगा। आइए देखते हैं ऐसी ही कुछ प्रतिक्रियाएं :-
Yes Bank के managing director राणा कपूर ने कहा, ”अगले साल के assessment में GST भी शामिल रहेगा जो ease of doing business की रैंकिंग में देश को काफी ऊपर ले जाएगा।”
Axis Bank के managing director शुक्ला धर्मा ने कहा, ”GST हमारी अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह से एक ऐतिहासिक परिवर्तन की घटना रही है। इसके प्रभाव को लेकर भले बहुत सारी बातें हों लेकिन लाइसेंसिंग और टैक्स ढांचे को सरल बनाने के लिए एक निरंतर प्रयास किया गया है। इन सब कदमों के पीछे उद्देश्य है भारत को व्यापार करने के मामले में ज्यादा से ज्यादा investment friendly जगह बनाना।”
वेदांत ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा, ” सरकार ने सुधारों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिनके कारण यह संभव हो पाया है। सरकार ने प्रक्रियाओं को आसान किया है, पारदर्शिता बढ़ाने और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि के लिए व्यापक कार्य किए हैं।”
सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ”रैंकिंग और स्कोर में भारी सुधार तुरंत निवेशकों की भावनाओं को बढ़ावा देगा। विश्व बैंक ने सरकार की इस प्रतिबद्धता को मान्यता दी है जिनमें तेजी से किए गए आर्थिक सुधार, रेड टेप संस्कृति को खत्म करना और व्यापार को सुगम बनाने के लिए पिछले तीन वर्षों में मिशन मोड में कार्य किए गए हैं।”
फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, “भारत सरकार के सुधार की पहल के साथ रैंकिंग में सुधार से मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। सुधार में कराधान, वित्त, कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं सहित व्यापक क्षेत्र शामिल हैं।”
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) की हेड निशा देसाई बिस्वाल ने कहा, ”यह एक महत्वपूर्ण प्रगति है और भारत बैरोमीटर सही दिशा में चल रहा है। यह ऐसे माध्यमों के निर्माण करने में मदद करता है जो विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करेगा।’‘