Home झूठ का पर्दाफाश गुरु अरविंद केजरीवाल से आगे निकले हार्दिक पटेल!

गुरु अरविंद केजरीवाल से आगे निकले हार्दिक पटेल!

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अरविंद केजरीवाल भारत के एक ऐसे अजूबे नेता हैं जिन्हें थप्पड़ मारे गए, जूते पड़े और उनपर स्याही भी फेंकी गई। हालांकि इन सब मामलों में उन्होंने गांधीगीरी का दर्शन करवाया और किसी पर भी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने हर बार दलील दी कि हमने आरोपी को नासमझ समझकर माफ कर दिया। अब केजरीवाल की राह पर उनके चेले हार्दिक पटेल भी चल निकले हैं। आठ अप्रैल को जब वे मध्य प्रदेश दौरे पर थे तो उनपर भी स्याही फेंकी गई। हालांकि इसके तुरंत बाद उन्होंने ट्वीट किया कि- ‘मुझपर स्याही फेंकने वाले को मैंने माफ किया।‘ अब सवाल ये है कि बात-बात पर गोली चलाने की बात करने वाला और ‘उखाड़ सको तो उखाड़ लो’ की बात करने वाला शख्स अचानक इतना गांधीवादी कैसे हो गया?

दरअसल यह शिक्षा शायद उन्होंने अपने गुरू अरविंद केजरीवाल से ली होगी। क्योंकि यह पूरी घटना बिल्कुल उसी स्टाइल में हुई जो अक्सर अरविंद केजरीवाल अपनाते रहे हैं। पहले तो खुद पर जूते फिकवाए, थप्पड़ मरवाए और बाद में कह दिया कि ‘जाओ जी मैंने माफ किया।‘

जाहिर है यह एक पब्लिसिटी स्टंट से अधिक कुछ नहीं है। हार्दिक ने भी यही किया और 5 रूपये की स्याही डलवाकर खुद को लाइम लाइट में ले आए। हालांकि स्याही डलवाने की हकीकत जब सामने आई तो सबके मुंह से यही निकला कि ‘गुरु तो गुड़ ही रह गए और चेला चीनी’ हो गया।

हार्दिक ने अपने ही साथी से स्याही डलवाई
हार्दिक पटेल पर स्याही फेंकने वाले शख्स का नाम है मिलिंद गुर्जर। कहा गया कि वह हार्दिक पटेल से नाराज है। उसने खुद को गुर्जर महासंघ का महासचिव बताया और हार्दिक पटेल के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। बहरहाल इन तस्वीरों को देखिये तो साफ समझ में आएगा कि हार्दिक और मिलिंद ने कई बार एक साथ मंच साझा किया है और सिर्फ मीडिया की सुर्खियां पाने के लिए हार्दिक ने स्याही फिंकवाने की साजिश रची थी।

जनता को गुमराह करने की रची साजिश
स्याही फेंके जाने की घटना के तुरंत बाद हार्दिक के ही लोगों ने मिलिंद को अपने कब्जे में ले लिया। तत्काल ही हार्दिक ने उसके माफीनामे की घोषणा भी कर दी। साफ है कि हार्दिक इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता था। अगर इसमें केस हो जाता तो मिलिंद कहीं ये सच बयां कर देता कि उसने हार्दिक के कहने पर ही स्याही फेंकी थी, तो हार्दिक क्या मुंह दिखाता। बहरहाल इस घटना से ये हुआ कि वे मीडिया की सुर्खियों में आ गए और मोदी विरोध की राजनीति पर उतर आए। 

गुजरात में पटेल आरक्षण पर दिया धोखा
जिस हार्दिक पटेल की हिंसक राजनीति ने 14 पटेलों की जान ले ली। जो बात-बात में गाली-गलौज पर उतर आता हो वह इतनी गांधीगीरी भला कैसे दिखा सकता है। बहरहाल पटेलों को आरक्षण की मांग करने वाले हार्दिक अब इस मुद्दे पर खामोश हैं। कांग्रेस पार्टी के साथ गुजरात को अशांत करने वाले अब मध्य प्रदेश और राजस्थान में घूम रहे हैं। साफ है कि हार्दिक को पटेलों के आरक्षण से कुछ लेना देना नहीं है बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए पोलिटिकल फील्ड तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। वे पटेलों को गुमराह कर फिर कांग्रेस के लिए वोट की जुगाड़ में इधर-उधर दौड़ लगा रहे हैं। 

हार्दिक ने कांग्रेस के हाथों बेच दिया आरक्षण आंदोलन
बीते विधानसभा चुनाव में गुजरात का पाटीदार समुदाय किसी भी हाल में कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहता था, लेकिन हार्दिक पटेल अपने राजनीतिक स्वार्थ के तहत कांग्रेस से राजनीतिक सौदा किया। कांग्रेस से सौदा होने तक उन्होंने यह भी जाहिर नहीं होने दिया कि वे राहुल गांधी के हाथों का खिलौना बन गए थे! अहमदाबाद के स्थानीय उम्मेद होटल के सीसीटीवी फुटेज में भी साफ दिखा कि हार्दिक पटेल उस होटल में गए जहां राहुल रुके हुए थे। स्थानीय मीडिया के अनुसार दोनों नेताओं के बीच मुलाकात भी हुई, लेकिन हार्दिक पटेल इस मुलाकात को मानने तो तैयार नहीं थे। हालांकि अशोक गहलोत ने ये बात सबके सामने कबूल किया है कि हार्दिक से उनकी मुलाकात हुई है। 

कांग्रेस के जाति तोड़ो अभियान के नायक हैं हार्दिक
देश-दुनिया में गुजरात का सम्मान इसलिए भी बढ़ा है कि यहां के लोग गुजराती स्वाभिमान को सबसे आगे रखते हैं। हालांकि बीते डेढ़ दो वर्षों में गुजरात को जाति-जमात में बांट दिया गया है। यूं कहें कि कांग्रेस ने गुजरात को ‘फूट डालो राज करो’ की नीति का प्रयोगशाला बना दिया। दलित, ओबीसी और पटेलों में बांट कर कांग्रेस ने अपना उल्लू सीधा करने की कुत्सित कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबको जोड़ने की बात कहते हैं और कांग्रेस पार्टी तोड़ो और राज करो की नीति पर चलती है। हार्दिक पटेल ने ये शमां तैयार किया कि वह पाटीदारों के लिए न्याय चाहता है। यह स्थापित करने की कोशिश की कि अनुचित आरक्षण नीति के कारण उनके समुदाय के लोगों के साथ अन्याय और उपेक्षा किया गया है। लोग तत्कालिक रूप से उनके बहकावे में आ तो गए थे और हार्दिक को अपना नायक भी मान लिया था। लेकिन बाद के दौर में यह साबित हो गया कि हार्दिक पटेल कांग्रेस की जाति तोड़ो अभियान के नायक भर हैं, न कि पटेलों के हितैषी। 

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