Home केजरीवाल विशेष रामनवमी पर बैन क्यों लगाना चाहते हैं केजरीवाल?

रामनवमी पर बैन क्यों लगाना चाहते हैं केजरीवाल?

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भारतीय जनता पार्टी हमेशा कहती रही है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस की ‘बी’ टीम है। हालांकि इस बात को किसी ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। परन्तु 3 अप्रैल को जब आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने ये कहा कि- पार्टी लोकसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ सकती है, तो भाजपा की बात सही साबित होती दिखी। अब केजरीवाल सरकार रामनवमी को लेकर एक ऐसा निर्णय लेने जा रही है जो यह साबित करती है कि आम आदमी पार्टी वास्तव में कांग्रेस की ‘B’ टीम है।

न दंगा – न फसाद, फिर क्यों राजनीति कर रहे केजरीवाल?
केजरीवाल सरकार ने राशन घोटाले से ध्यान भटकाने के लिए बहुत घिनौना प्लान बनाया है। आप सरकार विधानसभा में सांप्रदायिक मुद्दे को तूल देने की योजना पर काम कर रही है, ताकि मीडिया का ध्यान उनके भ्रष्टाचार और घोटालों से हट जाए। आप पार्टी के विधायक अमानतुल्ला के इस प्रस्ताव में लिखा गया, ‘रामनवमी जुलूस के बहाने कथित साम्प्रदायिक उपद्रव भड़काने के प्रयास’ के संबंध में चर्चा। अमानतुल्ला खान के अलावा विधायक नितिन त्यागी और प्रवीण कुमार का नाम इसमें शामिल है।

अब सवाल ये है कि जब दिल्ली में किसी भी तरह का सांप्रदायिक उपद्रव नहीं हुआ है तो केजरीवाल इस पर राजनीति क्यों कर रहे हैं?

हिंदू आस्था पर कुठाराघात है अमानतुल्ला का प्रस्ताव
दरअसल आप विधायक अमानतुल्ला खान द्वारा विधानसभा में ‘रामनवमी के जुलूस’ के ख़िलाफ़ जो प्रस्ताव लाया जा रहा है वह अपने आप में विवादास्पद है। इसके तहत दिल्ली में मस्जिदों के सामने से रामनवमी और रामलीला के जुलूस निकालने पर पाबंदी का कानून बनाने की तैयारी की जा रही है। यही नहीं हिन्दू धार्मिक जुलूसों में धनुष बाण, गदा और तलवार लेकर चलने पर प्रतिबंध का भी प्रस्ताव किया जा रहा है। जाहिर है अगर ऐसा होता है तो देश की राजनीति का एक और गंदा उदाहरण होगा।

मोहर्रम पर भी बैन का प्रस्ताव लाएंगे केजरीवाल?
हालांकि जब यह प्रस्ताव सदन के पटल पर लाया गया तो आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने इसे फाड़ दिया। लेकिन एक बात तो स्पष्ट हो गई कि केजरीवाल का प्रस्ताव सांप्रदायिक राजनीति की एक नई कड़ी है।


सवाल उठ रहे हैं कि केजरीवाल सरकार अगर रामनवमी जुलूस पर रोक लगा रही है तो क्या वह मोहर्रम जुलूस पर भी बैन लगाने का माद्दा दिखाएगी। जाहिर है इसका सवाल नहीं होगा, क्योंकि केजरीवाल की नीति ठीक कांग्रेस की तरह है और वह मुस्लिम तुष्टिकरण में ही यकीन रखती है।

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