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सबका साथ-सबका विकास: अल्पसंख्यकों को मोदी सरकार का तोहफा, 5 करोड़ छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मंत्र है ‘सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास’। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इसी मंत्र को साकार करने में लगी है। जात-पात और संप्रदाय के खांचों में बंटी विपक्ष की राजनीति के उलट मोदी सरकार समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए काम कर रही है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पंथ और जाति के आधार पर कोई विकास यात्रा में पीछे नहीं छूटना चाहिए और अब तक अल्पसंख्यकों के साथ जो छल किया गया है उसमें छेद करते हुए सबका विश्वास जीतना है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि जब हम सबका साथ सबका विकास कहते हैं तो मतलब है कि जिन्होंने वोट दिया वो भी हमारे जिन्होंने वोट नहीं दिया वह भी हमारे। यह सरकार सबकी है। इसी मंत्र को आगे बढ़ाते हुए अब केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को एक बड़ा तोहफा दिया है। केंद्र सरकार ने अगले पांच साल में पांच करोड़ विद्यार्थियों को ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति’ देने का एलान किया है। इसमें से करीब ढ़ाई करोड़ यानी 50 प्रतिशत छात्राएं होंगी। सबसे खास बात यह है कि इसका लाभ लेने की प्रक्रिया को काफी सरल और पारदर्शी बनाया गया है।

पांच करोड़ छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति
अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने मंगलवार को कहा कि अगले पांच वर्षों में पांच करोड़ छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। छात्रवृत्ति प्राप्‍त करने वालों में 50 प्रतिशत बालिकाएं होंगी। उन्होंने कहा कि स्‍कूली शिक्षा को बीच में ही छोड़ देने वाली अल्‍पसंख्‍यक समुदाय की बालिकाओं को शिक्षा और रोजगार प्रदान करने के लिए देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्‍थानों द्वारा संचालित ‘ब्रिज कोर्स’ से जोड़ा जाएगा। मदरसा शिक्षकों को हिन्‍दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कम्‍प्‍यूटर आदि विषयों में प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे मदरसा के छात्रों को मुख्‍यधारा की शिक्षा प्रदान कर सकें।

युवाओं को नि:शुल्‍क कोचिंग सुविधा
अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्री ने कहा कि तीन(ई)-शिक्षा, रोजगार और सशक्‍तीकरण के माध्‍यम से अल्‍पसंख्‍यकों विशेषकर लड़कियों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक सशक्‍तीकरण को सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्‍द्र व राज्‍य प्रशासनिक सेवाओं, बैंकिंग सेवाओं, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे और अन्‍य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आर्थिक रूप से कमजोर अल्‍पसंख्‍यकों-मुस्लिम, इसाई, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी समुदाय के युवाओं को नि:शुल्‍क कोचिंग सुविधा प्रदान की जाएगी। प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत स्‍कूल, कॉलेज, पोलोटेक्‍नीक, बालिका छात्रावास, आवासीय विद्यालय, जन सुविधा केन्‍द्र आदि का निर्माण युद्धस्‍तर पर किया जा रहा है।

पढ़ो-बढ़ो जागरूकता अभियान
अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्री ने कहा कि पूरे देश के उन क्षेत्रों में ‘पढ़ो, बढ़ो’ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जहां लोग सामाजिक-आर्थिक वजहों से अपने बच्‍चों को विशेषकर लड़कियों को स्‍कूल नहीं भेजते हैं। यह अभियान बालिकाओं की शिक्षा पर केन्द्रित होगा। इस जागरूकता अभियान के तहत नुक्‍कड़ नाटक, लघु फिल्‍में, सास्‍कृतिक कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाएगा। यह अभियान देश के 60 अल्‍पसंख्‍यक बहुल जिलों में लांच किया जाएगा।

आइए, एक नजर डालते हैं अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम समाज के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए कुछ उल्लेखनीय कार्यों पर।

हुनर हाटः हुनर से हाट तक  
अल्पसंख्यको में कौशल विकास के लिए मोदी सरकार ने देश में कई ‘हुनर हाट’ आयोजित किए। देशभर के सिद्धहस्‍त कारीगरों को घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय अनुभव प्रदान करना इसका लक्ष्य है। ये ‘हुनर हाट’ ‘मेक इन इंडिया’,’स्‍टैंडअप इंडिया’ और ‘स्‍टार्टअप इंडिया’ के लिए प्रतिबद्धता का एक विश्‍वसनीय माध्‍यम बन गए हैं।

अल्पसंख्यक शिक्षाः सा विद्या या विमुक्तये… 
मोदी सरकार ने पूरे देश में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के उम्‍मीदवारों और छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग और इस तरह की दूसरी योजनाओं की शुरुआत की है। इसके तहत सार्वजनिक‍ उद्यमों, बैंकों, बीमा कंपनियों आदि के साथ ही केंद्र और राज्‍य सरकारों की सेवाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग सुविधा दी जा रही है। राजस्‍थान के अलवर जिले में अल्‍पसंख्‍यक बहुल चंदौली गांव में डिजिटल साक्षरता के लिए साइबर ग्राम नामक शीर्ष परियोजना शुरू की गई। एक विशेष पहल के रूप में वर्ष 2014-15 में ही बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के साथ साइबर ग्राम परियोजना को जोड़ दिया गया है। उच्च शिक्षा के संबंध में मार्गदर्शन के लिए सरकार ने वेबसाइट www.minorityaffairs.gov.in शुरू किया गया। मदरसा शिक्षकों को मुख्‍यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है।

अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय ने मदरसा छात्रों और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों को शिक्षा की मुख्‍य धारा में लाने के लिए जामिया मीलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय के सहयोग से ‘सेतु पाठ्यक्रम’ शुरू किया था। सरकार ने 13 सितंबर, 2018 को नई दिल्‍ली में देश का सबसे पहला ‘नेशनल स्‍कॉलरशिप पोर्टल मोबाइल एप’ शुरू किया। यह पोर्टल गरीब और कमजोर हिस्‍से के छात्रों के लिए आसान, पहुंचयोग्‍य और निर्बाद छात्रवृत्ति प्रणाली सुनिश्चित करेगा।

सीखो और कमाओ योजना
मोदी सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के रोजगार के लिए सरकार ‘सीखो और कमाओ’ योजना लेकर आई। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं की योग्यता, बाजार में संभावना को देखते हुए उनकी कौशल क्षमता को और बढ़ाना है। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को बेहतर रोजगार प्राप्त हो सके। इस योजना के तहत कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षुओं का रोजगार सुनिश्चित किया गया है और इसमें से कम से कम 50 प्रतिशत नियोजन संगठित क्षेत्र में होगा। योजना का कार्यान्वयन केरल सहित पूरे देश में चुनिंदा परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईएज) के माध्यम से किया जाता है। 

‘उड़ान योजना’ से विकास की उड़ान 
अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग उपलब्ध कराने के लिए ‘नई उड़ान’ योजना लागू की गई। इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के ग्रुप ‘A’, ‘B’, ‘C’ सहित बाकी सभी समकक्ष पदों के लिए तैयारी भी इस योजना में शामिल है। स्कीम के अंतर्गत लोकल छात्रों को 1,500 रुपये और घर से बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को 3,000 रुपये दिए जाते हैं।

हज यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या
सऊदी अरब ने हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने का विकल्‍प फिर से शुरू करने से संबंधित भारत सरकार के निर्णय के लिए हरी झंडी दे दी। इसके बाद आगामी वर्षों में समुद्री मार्ग से हज यात्रा शुरू की जा सकती है। भारत और सऊदी अरब के बीच मक्‍का में द्विपक्षीय वार्षिक हज 2018 समझौते पर हस्‍ताक्षर के दौरान इसके बारे में एक निर्णय लिया गया था। समुद्री जहाजों से हज यात्रियों को भेजने से यात्रा व्‍यय में भी काफी कमी होगी। मुंबई और जेद्दा के बीच समुद्री मार्ग से हज यात्रा की परंपरा को वर्ष 1995 में रोक दिया गया था।

हज 2018 को शत-प्रतिशत डिजिटल/ऑनलाइन किया गया। पहली बार भारत की लगभग 1300 मुस्लिम महिलाएं ‘मेहराम’ (पुरुष साथी) के बिना हज के लिए गईं। सऊदी अरब में इन महिला हज यात्रियों के लिए अलग से आवास और परिवहन का प्रबंध किया गया था। पहली बार 100 से अधिक महिला हज सहायकों को सऊदी अरब में महिला हज यात्रियों की सहायता के लिए तैनात किया गया था। लगतार दूसरे वर्ष भारत का हज कोटा बढ़ाया गया है और स्‍वतंत्रता के बाद पहली बार भारत से एक लाख 75 हजार 25 की अभूतपूर्व संख्‍या में हज या‍त्री हज पर गये, वह भी हज सब्सिडी के बिना। वर्ष 2018-19 के लिए अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय के लिए 505 करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त धनराशि दी गई है।

अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की अवधि बढ़ाई
नरेन्द्र मोदी सरकार की तमाम नीतियों में मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्ग के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम कर रही है। इसी सोच के साथ मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और प्रतिभा के आधार पर दी जाने वाली छात्रवृत्तियों की अवधि दो साल के लिए बढ़ा दी। अब इन छात्रवृत्तियों की अवधि 2017-18 से बढ़ाकर 2019-20 कर दी गयी है। इससे हर साल 70 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति मिल रही है और इस पर 5,338.32 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

वक्फ का वजीफा
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने उन मुतवल्लियों को पुरस्कृत करने का फैसला किया, जो वक्फ सम्पत्तियों का ऐसा प्रबंधन करेंगे जिससे समाज की उन्नति हो और खासतौर से लड़कियों को शैक्षिक रूप से अधिकार सम्पन्न बनाया जा सके। केंद्रीय वक्फ परिषद दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए राज्य वक्फ बोर्डों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है, ताकि राज्य वक्फ बोर्ड निर्धारित समय के अन्दर अपना कार्य पूरा कर ले। केंद्रीय वक्फ परिषद ने मुस्लिम छात्रों की प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में कोचिंग के लिए वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है। यह कोचिंग सिविल सेवाओं के लिए 50 छात्रों को जामिया मिलिया इस्लामिया में दी जाएगी। इसी तरह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 100 छात्रों को कोचिंग दी जाएगी।सरकार ‘नई रोशनी’ नामक एक नई योजना चला रहा है। यह योजना अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए है। 

उस्ताद योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अल्पसंख्यकों की पारंपरिक कला और समुदाय से संबंधित हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास तथा प्रशिक्षण योजना ‘उस्ताद’(अपग्रेडिंग द स्किल्स एंड ट्रेनिंग ट्रेडिशनल आर्टस/क्राफ्ट्स फॉर डेवलपमेंट) शुरू की गई। इस योजना उद्देश्य अल्पसंख्यक कामगारों को बड़े बाजार नेटवर्क का हिस्सा बनाना है। सरकार ने हस्तशिल्पियों, पारंपरिक दस्तकारों के हितों की रक्षा के लिए एवं उनकी समस्याओं को समझते हुए व्यावहारिक धरातल पर कई कदम उठाए। इस योजना के लक्ष्यों में एक उद्देश्‍य यह भी रहा कि विभिन्‍न पारंपरिक कलाओं में संलग्‍न अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को इस कला में दक्ष-प्रवीण दस्‍तकारों और हस्‍तशिल्पियों द्वारा अतिरिक्त प्रशिक्षण दिलाया जा सके। 

अजमेर दरगाह का विकास
मोदी सरकार ने अजमेर दरगाह के निकट ‘विश्रामस्थली’ में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निर्मित 100 शौचालयों के परिसर का निर्माण कराया है।  दरगाह आने वाले जायरीन को इस सुविधा से बहुत लाभ होगा। जुलाई, 2018 को दरगाह ख्वाजा साहिब अजमेर का आधिकारिक वेब पार्टल जारी किया गया। इस वेब पोर्टल को https://gharibnawaz.minorityaffairs.gov.in पर देखा जा सकता है।

प्रधानमंत्री जन विकास योजना
प्रधानमंत्री जन विकास योजना अल्पसंख्यकों और समाज के अन्य वर्गों की सामाजिक,आर्थिक-शैक्षिक सशक्तीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुई है। अल्पसंख्यक वर्ग की लड़कियों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने और उनके रोजगार जनित कौशल विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार देश के पिछड़े और उपेक्षित क्षेत्रों में प्रधानमंत्री जन विकास योजना के अंतर्गत स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक, लड़कियों के छात्रावास, आईटीआई और कौशल विकास आदि उपलब्ध करा रही है।

धर्म निरपेक्षता और सशक्तीकरण
धर्म निरपेक्षता सामाजिक सद्भाव और सहनशीलता पूरे विश्व की तुलना में भारत के डीएनए में है। भारत में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक, सामाजिक, धार्मिक अधिकार अधिक सुरक्षित हैं। सरकार ने देश में अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए मूल शैक्षिक सुविधाएं सुनिश्चित कराने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया है केंद्र सरकार द्वारा उठाए गये कदमों का उद्देश्य अल्पसंख्यक वर्ग को विकास की मुख्य धारा में शामिल करना है। सरकार ने सीखो और कमाओ, उस्ताद, गरीब नवाज, कौशल विकास योजना, नई मंजिल, नई रोशनी, बेगम हजरत महल बालिका छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू की हैं जिनसे विशेष रूप से इस वर्ग की लड़कियां सशक्त हो रही हैं।

मुस्लिम लड़कियों के लिए शादी शगुन योजना
अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को उच्च शिक्षा के मकसद से प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रुपये की राशि बतौर ‘शादी शगुन’ देने का फैसला किया जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था ‘मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन’ (एमएईएफ) ने मुस्लिम लड़कियों की मदद के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया। एमएईएफ का कहना है कि इस योजना का मकसद सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम लड़कियों और उनके अभिभावकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें। इस कदम को अभी आरंभिक तौर पर ‘शादी शगुन’ नाम दिया गया।

नए शिक्षा और कौशल विकास केंद्रों की स्थापना
देशभर में 100 गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र खोले गए, जहां अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के लिए विभिन्न रोजगार आधारित पाठ्यक्रम कराए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक आबादी बहुल इलाकों में गुरुकुल की तरह 39 आवासीय विद्यालय खोले गए हैं। साथ ही, सद्भाव मंडप बनवाए गए हैं, जिसके तहत 809 विद्यालय भवन, 10 डिग्री कॉलेज, 371 छात्रावास, 1392 शौचालयों व पेयजल सुविधाओं के अलावा 53 आईटीआई और बहुउद्देशीय समुदाय केंद्रों का निर्माण कराया गया है।

थ्री ई – एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं इम्पावरमेंट
मोदी सरकार का नारा है सबका साथ, सबका विकास। इसी मंत्र को साकार करने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने समावेशी विकास की कई नीतियां और योजनाएं धरातल पर उतारी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों की बुनियादी विकास की नीतियों को ‘3ई’ के जरिये गति प्रदान की है। एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं इमपावरमेंट- को आधार बनाकर विकास की मुख्यधारा में अल्पसंख्यक समुदायों के गरीबों, पिछड़ों तथा निर्बल वर्गों को शामिल करने की सोच के साथ कई योजनाएं आगे बढ़ रहीं हैं।

टॉयलेट, टिफिन और टीचर
मुख्यधारा की शिक्षा देने वाले मदरसों की मदद करने और पारंपरिक शिक्षा केंद्र को आधुनिक बनाने के लिए सरकार थ्री टी योजना लागू की है। थ्री टी यानी टॉयलेट, टिफिन और टीचर। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने देशभर के मदरसों में एक लाख से ज्यादा शौचालय बनवाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यधारा की शिक्षा देने वाले मदरसों में बच्चों को ‘मिड डे मील’ या ‘मध्याह्न भोजन योजना’ शुरू कर दिया है। इसके अलावा मंत्रालय ने मदरसा टीचरों के लिए ‘अपग्रेड कौशल योजना’ भी शुरू करने का फैसला किया है, इससे शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्हें समय की जरूरतों के हिसाब से प्रशिक्षित भी किया जा सके।

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