Home इतिहास के झरोखे में नरेन्द्र मोदी मोदी राज में ग्रामीण बैंकों का कायाकल्प, ग्राहकों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं

मोदी राज में ग्रामीण बैंकों का कायाकल्प, ग्राहकों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बैंकिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान दे रही है। जहां 2019 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय हालत सुधारने के लिए भारी-भरकम पूंजी डालने की घोषणा की। वहीं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का कायाकल्प करने के लिए उनकी संख्या कम करने के साथ ही वित्तीय रूप से मजबूत बनाने के लिए शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने जा रही है। इससे न केवल ग्रामीण बैंकों की उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारीगरों को बेहतर बैंकिंग सुविधाएं मिलेंगी। 

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शेयर बाजार में होंगे सूचीबद्ध 

केंद्र सरकार वित्तीय रूप से मजबूत तीन से चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की योजना बना रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मजबूत बनाने के लिए आरआरबी की संख्या को मौजूदा 45 से घटाकर 38 करेगी। इसके अलावा आने वाले समय में कुछ और बैंकों का विलय हो सकता है, क्योंकि इसके लिए राज्य सरकारों ने अपनी अनुमति दे दी है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण पर जोर

पिछले कुछ महीने में विभिन्न राज्यों में लगभग 21 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एकीकरण किया गया है, ताकि उनकी उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सके। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण से उनका खर्च कम होगा, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर पाएंगे, पूंजी आधार बढ़ेगा और संचालन का क्षेत्र और पहुंच बढ़ेगी।

बजट में पुनर्पूंजीकरण के लिए 235 करोड़ रुपये

बजट 2019-20 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 235 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इन बैंकों को केंद्र, राज्यों तथा प्रायोजित बैंकों के अलावा, अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की मंजूरी देने के लिए  2015 में कानून में संशोधन किया गया था। फिलहाल आरआरबी में केंद्र की 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक की 35 प्रतिशत और राज्य सरकारों की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। संशोधित कानून के तहत हिस्सेदारी बिक्री के बावजूद केंद्र और प्रायोजक बैंक की कुल हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे नहीं आ सकती।

देश भर में 21 हजार से अधिक शाखाएं 

देशभर में ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों की 21 हजार से अधिक शाखाएं हैं। इन बैंकों की अहम भूमिका ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन का है। जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों तथा कारीगरों को कर्ज तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करना है।

निवेश करने का सुनहरा मौका मिलेगा
सरकार तीन से चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आईपीओ लाने की तैयारी में है। इन बैंकों का आईपीओ इसी साल आ सकता है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी अवधि को ध्यान में रखकर आईपीओ में निवेश करना फायदेमंद होगा। ऐसा इसलिए कि जिन बैंकों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की तैयारी चल रही है उनकी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है।

आइए एक नजर डालते हैं बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार के अन्य उपायों पर… 

बैंकिंग सेक्टर में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा

मोदी सरकार ने बजट-2019 में बैंकिंग सेक्टर में 70,000 करोड़ रुपये की भारी-भरकम पूंजी डालने की घोषणा की। सरकार के इस फैसले का असर सरकारी बैंकों की पूंजी में बढ़ोतरी के रूप में होगी। अतिरिक्त पूंजी मिलने से बैंक ग्राहकों को ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। इससे आखिरकार देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

सरकारी बैंकों को पूंजी मिलने से देश की अर्थव्यवस्था होगी मजबूती-सीतारमण

वित्त मंत्री  निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट भाषण में कहा कि सरकारी बैंकों को पूंजी मिलने से बैंक ज्यादा लोन दे सकेंगे और देश की इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी। सीतारमण ने कहा, “लोगों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए पब्लिक सेक्टर बैंक तकनीक का इस्तेमाल करेंगे, ग्राहकों को ऑनलाइन लोन देंगे और दरवाजे पर बैंकिंग की शुरूआत करेंगे, इसके अलावा तकनीक के जरिए किसी एक बैंक का ग्राहक दूसरे सभी सरकारी बैंकों की सुविधाओं का फायदा उठा सकेगा।”

सरकार ने की 4 लाख करोड़ रुपये की वसूली

निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में इस बात पर भी जोर दिया कि पिछले एक साल में बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) में एक लाख करोड़ की कमी आई है। इसके अलावा पिछले चार सालों में नए दिवालिया कानून (आइबीसी-इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड) और दूसरे कदमों की वजह से सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपये लोगों और संस्थाओं से वसूल किए हैं।

पिछले 5 सालों में बैंकों को मिले 3.19 लाख करोड़ रुपये के फंड

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वित्तीय सालों में सरकारी बैंकों में 3.19 लाख करोड़ रुपये का फंड पंप किया गया है। इसमें से सरकार ने 2.5 लाख करोड़ रुपये फंड डाला है, जबकि 66000 करोड़ रुपये बैंकों ने खुद इकट्ठा किया है। निर्मला सीतारमण ने 24 जून को ये जानकारी बैंकों को दी थी। केंद्र सरकार द्वारा बैंकों को दिया जा रहा फंड मुख्य रूप से रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड  के जरिये दिया गया था। इस बॉन्ड की घोषणा सरकार ने अक्टूबर 2017 में की थी।

ऑपरेशन ‘घर-वापसी’!  

भगोड़े आर्थिक अपराधियों की हर चाल को मोदी सरकार नाकाम करने में जुटी है। मतलब भगोड़े डाल-डाल तो मोदी सरकार पात-पात! देश के हजारों करोड़ रुपये लूटकर विदेशों में जा छिपे भगोड़े नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या आदि अपराधियों के खिलाफ मोदी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही। सरकार इनकी संपत्ति जब्त करने के साथ ही इन्हें पकड़कर भारत लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। 

पोंजी घोटाले का आरोपी मंसूर खान गिरफ्तार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की सत्ता संभाली है उनकी प्राथमिकता हर स्तर पर भ्रष्टाचार और लूट-खसोट को खत्म करना रहा है। बैंकों का पैसा लूट कर विदेश भागने वालों को पकड़ने के लिए मोदी सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून बनाया। इस कानून के बनने के बाद विदेशों में बैठे घोटालेबाजों की शामत आ गई है।1500 करोड़ रुपए के आई मॉनिटरी एडवाइजर (IMA)पोंजी घोटाले के मुख्य आरोपी मंसूर खान को ईडी ने दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया । मंसूर खान पर ईडी के साथ-साथ एसआईटी ने भी लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। बता दें, 8 जून 2019 को मंसूर खान देश छोड़कर दुबई चला गया था। खान के खिलाफ निवेशकों ने हजारों शिकायतें की हैं और उनका दावा है कि मंसूर ने उन्हें ठगा है। लोगों को मोटे पैसे वापस देने का वादा किया गया था, लेकिन सबका पैसा डूब गया।

इंडोनेशिया से पकड़ा गया भगोड़ा कारोबारी विनय मित्तल
सीबीआई ने 7 बैंकों से 40 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर फरार उद्योगपति विनय मित्तल को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। सीबीआई इस भगोड़े कारोबारी को इंडोनिशेया से प्रत्यर्पित कर भारत ले आई है। विनय मित्तल का नाम विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल था। जिस प्रकास मोगी सरकार भगोड़े उद्योगपतियों पर कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है कि वो दिन दूर नहीं है जब विजय माल्या और नीरव मोदी भी शिकंजे में होंगे।

मोदी सरकार की सख्ती का असर, बहरीन से पकड़ा गया भगोड़ा आर्थिक घोटालेबाज
सीबीआई ने 9 वर्ष पहले बैंकों को लाखों का चूना लगाने वाले एक आर्थिक घोटालेबाज को बहरीन में धर दबोचा है। सीबीआई ने मोहम्मद याहया नाम के इस शख्स के खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून के तहत कार्रवाई की है।

मोदी सरकार के भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत सीबीआई को यह पहली कामयाबी थी। सीबीआई घोटालेबाज मोहम्मद याहया को पकड़कर भारत ले आई है। बता दें कि 47 वर्षीय मोहम्मद याहया 2003 में बैंगलुरू के कुछ बैंकों के साथ करीब 46 लाख रुपए का घोटाला करने बाद खाड़ी देश भाग गया था। याहया को बहरीन से पकड़ा गया। पिछले काफी समय से उस पर भारतीय एजेंसियों की नजर थी। बहरीन में उसकी गिरफ्तारी के बाद सभी आवश्यक कार्रवाई को पूरा कर भारत लाया गया। याहया के खिलाफ सीबीआई ने 2009 में जांच शुरू की थी, तबतक वह देश छोड़कर भाग चुका था। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी हुआ था। मोहम्मद याहया पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी जैसे कई आरोप लगाए गए हैं।

भ्रष्टाचार मुक्त बैंकिंग सिस्टम पर कवायद जारी

देश के बैंकिंग सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए सरकार अपनी कवायद में जुटी हुई है। नोटबंदी के दौरान घपला करने के आरोपी बैंक अधिकारियों पर सरकार ने सख्त कार्रवाई की। नोटबंदी के बाद गड़बड़ियां करने के आरोप में करीब 460 बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। यह पहला मामला है जब इतनी बड़ी संख्‍या में निजी क्षेत्र के बैंकों और रिजर्व बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इनमें निजी बैंकों के अधिकारियों समेत रिजर्व बैंक के भी अधिकारी शामिल थे।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत

जाहिर है मोदी सरकार बैंकों के कायाकल्प में जुटी हुई है। एक तरफ जहां वो बाजार के लिए बैंकों की क्षमता बढ़ाने में जुटी है वहीं बैंकों की प्रणाली को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाने पर भी उसका जोर है। सरकार के इन तमाम प्रयासों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत छुपा है।

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