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रोहिंग्या हिंदुओं पर अत्याचार ‘पक्षकारों’ और तथाकथित सेक्युलरों को क्यों नहीं दिखता ?

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माथे से सिंदूर मिटा रहे हैं… हाथों की चूड़ियां तोड़ी जा रही हैं… जबरन नमाज पढ़वाया जा रहा है… हिंदू पुरुषों-बच्चों का कत्लेआम किया जा रहा है और महिलाओं का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। रोहिंग्या हिंदू अल्पसंख्यकों पर ये जुल्म बांग्लादेश के राहत कैंपों में वे रोहिंग्या मुसलमान कर रहे हैं जिनके लिए पूरी दुनिया मानवाधिकार की बात कह रही है। रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार ने क्यों खदेड़कर भगाया है इसकी सच्चाई सामने है, लेकिन हिंदुओं पर इन रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचार पर सब खामोश हैं…

रोहिंग्या हिंदुओं का सामूहिक कब्र के लिए चित्र परिणाम

विशेषकर रोहिंग्या मुसलमानों के लिए रोने वाले रवीश कुमार, मृणाल पांडे, राणा अयूब, राजदीप सरदेसाई, अभिसार शर्मा, प्रशांत भूषण… जैसे ‘पक्षकार’ और तथाकथित बुद्धिजीवी यहां भी अपनी जात दिखा रहे हैं। भारत में अवैध रोहिंग्या मुस्लिमों की मदद का आह्वान कर रहे हैं लेकिन अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार करने वालों पर चुप्पी साध रखी है। तो क्या ये तथाकथित बुद्धिजीवी और पक्षकार हिंदुओं के मानवाधिकार को भी राइट और लेफ्ट की नजरों से देखते हैं?

वीश कुमार,राणा अयूब, राजदीप सरदेसाई, के लिए चित्र परिणाम

राहत शिविरों में हिंदुओं पर जुल्म ढा रहे रोहिंग्या मुस्लिम
पूजा के पति को रोहिंग्या मुसलमानों ने कत्ल कर दिया और पूजा को रबिया बना दिया। एक समाचार चैनल के वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार ये उन सैकड़ों हिंदू महिलाओं की दास्तान है, जो म्यांमार में हुई हिंसा के बाद बांग्लादेश में राहत कैंपों में शरण लिए हुए हैं। बकौल पूजा उर्फ राबिया रोहिंग्या मुसलमान उसे जंगल ले गए और नमाज पढ़ने को कहा। रोहिंग्या मुसलमानों ने पूजा का सिंदूर मिटा दिया और हिंदू धर्म की पहचान वाली चूड़ियों को तोड़ दी। बुर्का पहनाया गया और फिर धर्म परिवर्तन करवाया गया। तीन सप्ताह तक इस्लामिक रीति रिवाज सिखाया गया फिर नमाज पढ़ना सिखाया गया। अल्लाह कहलवाया गया, लेकिन पूजा कहती है कि मेरा दिल मेरे भगवान के लिए धड़कता है। ये जुल्म की हद नहीं तो क्या है? यह बर्बरता नहीं तो क्या है? ये मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं तो क्या है? क्या इन पक्षकारों और तथाकथित बुद्धिजीवियों को इन हिंदुओं का मानवाधिकार दिखेगा भी?

हिंदू पुरुषों का कत्लेआम और महिलाओं को बंधक बना रहे रोहिंग्या मुसलमान
बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर में बहुसंख्य मुस्लिम रोहिंग्या हिंदुओं को मार कर उनकी महिलाओं को इस्लाम स्वीकार करने और शादी के लिए मजबूर कर रहे हैं। रोहिंग्या हिंदू महिलाओं ने एक अखबार के प्रतिनिधि को आपबीती सुनाते हुए कहा कि उनके परिवार वालों को उनकी आंख के सामने मार दिया गया। उसके बाद आठ जवान और खूबसूरत महिलाओं को कैद कर लिया गया। इन्हीं में से दो रिचा धर और पूजा मल्लिक ने बताया कि उनके परिवार के पुरुष सदस्यों को मार दिया गया। उनके सिंदूर-बिंदी पोंछ दिए गए और चूडि़यां तोड़ दी गईं। उनसे मुस्लिम बनने और रोहिंग्या मुसलमान से शादी करने को कहा गया। समर्पण के अलावा उनके पास विकल्प नहीं था। पीड़ित रिचा धर को उसके परिजनों ने बचाया और हिंदू शरणार्थी शिविर में ले आए, लेकिन छह महिलाएं अभी भी बंधक हैं। तो क्या पक्षकारों को यह हकीकत दिखेगी? रोहिंग्या हिंदुओं के मानवाधिकार की बात करेंगें ये तथाकथित बुद्धिजीवी?

म्यांमार में हिंदुओं के सामूहिक नरसंहार के कब्र मिले
म्यांमार की सेना ने उन कब्रों को ढूंढ निकाला है जहां रखाइन में रोहिंग्या मुसलमानों ने हिंदुओं का नरसंहार किया है। 45 हिंदुओं के शवों को कब्र से निकाला जा चुका है। कहा जा रहा है कि कुल 100 हिंदू लापता हैं जिन्हें इन रोहिंग्या मुसलमानों ने बर्बरता से मार डाला है। कहा जा रहा है कि 300 रोहिंग्या आतंकियों ने 100 हिंदुओं को अगवा कर लिया और फिर उनकी सामूहिक हत्या की है। जाहिर है इस बर्बर कौम के लिए मानवाधिकार की बात करने वाले इन पक्षकारों को हिंदुओं का नरसंहार दिखेगा क्या ? शायद नहीं क्योंकि ये सिर्फ मजहबी चश्मे से ही चीजों को देखते हैं। जावेद अख्तर जो कि भारत की राज्यसभा के सदस्य रहे हैं और उनका एक सामाजिक सम्मान भी है, लेकिन उनकी असंवेदनशीलता तो देखिये। उनकी धर्मांधता तो  देखिये… किस कदर रोहिंग्या आतंकियों को क्लीन चिट दे रहे हैं। 


रोहिंग्या हिंदुओं का सामूहिक कब्र के लिए चित्र परिणाम

पक्षकारों और तथाकथित सेक्युलरों की जुबान बंद क्यों है ?
दरअसल रखाइन में बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां रोहिंग्या मुसलमानों ने हिंदुओं की पूरी आबादी को खत्म कर दिया है, लेकिन दुनिया को सिर्फ रोहिंग्या मुसलमानों का दर्द दिखाया जा रहा है। सिलेक्टिव रिपोर्टिंग के तहत पूरे मुद्दे का धार्मिक विभाजन कर दिया गया है। दरअसल 2014 की जनगणना के अनुसार म्यांमार में करीब ढाई लाख हिंदू रहते हैं, जो वहां की कुल जनसंख्या का आधा प्रतिशत है। जबकि म्यांमार में करीब साढ़े 11 लाख मुसलमान रहते हैं, जो म्यांमार की कुल जनसंख्या का 4.3% है। यानी बहुसंख्यक होने का फायदा उठाकर हिंदुओं को समूल खत्म करना चाहते हैं रोहिंग्या मुसलमान। विडंबना देखिये रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में ही शरण देने की दलीलें देने वाले लोग क्या रोहिंग्या हिंदुओं के मानवाधिकार को भी धर्म के चश्मे से देखेंगे? म्यांमार में जिन हिंदुओं को कब्र में पहुंचा दिया गया, उनका कसूर क्या था ? और उन पर अत्याचार क्यों हो रहे हैं? कोई पक्षकार या तथाकथित बुद्धिजीवी बोलेंगे क्या?

रोहिंग्या हिंदुओं पर जुल्म के लिए चित्र परिणाम

कश्मीरी पंडितों के दर्द पर तथाकथित सेक्युलरों की चुप्पी क्यों?
हमारे देश के बहुत से कश्मीरी पंडितों ने अपना बचपन, जवानी और बुढ़ापा… राहत शिवरों में गुजार दिया… फिर भी वो लोग कभी अपने जले हुए घरों में लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ये बात हमारे देश के पक्षकारों और तथाकथित सेक्यलरों को कभी नहीं चुभती। कैसे बहुसंख्यक होने का फायदा उठाकर कर कश्मीर में 1000 से अधिक हिंदुओं को खत्म कर दिया गया। कभी उनके पक्ष में किसी सेक्युलरवादियों की आवाज नहीं निकली। आज ये रोहिंग्या देश के लिए भी खतरा हैं क्योंकि ये कट्टर जिहादी ताकतों के हाथों का खिलौना बने हैं। जाहिर तौर पर इस कौम को भारत में शरण देना एक भूल होगी। अगर इन रोहिंग्या मुसलमानों की मदद ही करनी है तो उसे अपने देश भेजा जाए और उन्हें खाना कपड़ा और जरूरी सुविधाएं सहायता के तौर पर दे दी जाएं, लेकिन ये रोहिंग्या हिंदू कहां जाएगे। एक तरफ म्यांमार की सेना, दूसरी तरफ रोहिंग्या मुस्लिम…. कोई पक्षकार इस पर कुछ कहेंगे क्या?

रोहिंग्या हिंदुओं पर के लिए चित्र परिणाम

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