शरद यादव देश के बड़े सेकुलर नेता हैं। लोकतंत्र को ऊंचे मुकाम पर पहुंचाना चाहते हैं। लोकतंत्र की ‘इज्जत’ के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं। शरद यादव कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के घर बिना बुलाए चाय पीने धमकने वाले सेकुलर गैंग की अगुआई कर सकते हैं, दुत्कार मिलने का भी कोई गिला नहीं। आखिर लोकतंत्र की ‘इज्जत’ बचा रहे होते हैं। अब तो हद हो गयी। शरद यादव जी कह रहे हैं कि बेटी की इज्जत से बड़ा है वोट।
वोट और बेटी की इज्जत की तुलना ने सेकुलर गैंग के अगुआ नेता की मानसिकता को उजागर कर दिया है। इस देश में वोट की खरीद बिक्री होती रही है, उसे रोकने की कोशिशें भी जारी रही हैं। लेकिन क्या बेटियों की खरीद बिक्री भी होती रही है?-इसका उदाहरण तो नहीं मिलता। फिर इज्जत से वोट को जोड़ना, वोट से देश को जोड़ना और उसकी तुलना बेटी की इज्जत से करना- कैसा लोकतंत्र चाहते हैं शरदजी?
ऐसा लोकतंत्र जहां तथाकथित इज्जत को पुरुष लूटते हैं, उस कथित इज्जत को गंवा कर महिलाएं आत्महत्या कर लेती हैं! और जो किसी ने ‘नाक कटा दी’ तो उसकी हॉरर किलिंग (ऑनर किलिंग कहने से अदालत ने मना किया है) कर दी जाती है। आपकी सेकुलर सोच ने ‘इज्जत’ को जितनी इज्जत दी है उससे देश कितना शर्मसार है उसकी बानगी देखनी हो, तो सोशल मीडिया पर देखें। महिला आयोग ने भी शरद यादव को नोटिस भेज दिया है।
NCW issues notice to senior JD (U) leader Sharad Yadav over his statement “Beti ki izzat se vote ki izzat badi hai” in Patna. Reports ANI
— alka saxena (@alka_saxena1) January 25, 2017
Does @SharadYadavMP have a daughter? if not then somebody should tell him that his wife & mother are somebody’s daughters. ? #DesperateNetas
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) January 25, 2017
बहन बेटियों की इज्जत तुम नहीं समझ सकते क्योंकि इज्जत की कीमत उसको पता होती है जिसके पास होती है नंगा क्या समझेगा थू @SharadYadavMP pic.twitter.com/3E6qfKuS4S
— PINKU SHUKLA™® (@shuklapinku) January 25, 2017
आगे बढ़ने से पहले एक बार जान लेना जरूरी है कि शरद यादव ने क्या और किस अंदाज में कहा कि बेटी और देश दोनों शर्मिन्दा हैं-
“बैलेट पेपर के बारे में समझाने की जरूरत है लोगों को। बेटी की इज्जत से वोट की इज्जत बड़ी है। बेटी की इज्जत जाएगी तो गांव और मोहल्ले की इज्जत जाएगी, अगर वोट बिक गया तो देश की इज्जत जाएगी।’
‘इज्जत’ पर शरद यादव को पढ़ते-सुनते-देखते ही हठात् निर्भयाकांड की याद आ जाती है। अगर शरद यादव जैसी सेकुलर सोच होती, तो ये बसंत कुंज का इलाकाई मामला था। इसलिए वहां की ‘इज्जत’ गयी थी। या फिर जिस बिहार से निर्भया ताल्लुक रखती थी, शरद यादव के हिसाब से वहां की ‘इज्जत’ गयी थी। लेकिन दुनिया जानती है कि हिन्दुस्तान की जनता ने निर्भया को एक परिवार की, मुहल्ले की या फिर स्टेट की बेटी नहीं ‘देश की बेटी’ माना। महिलाओं के खिलाफ जुल्म बंद करने की आवाज उठी। बलात्कारी को फांसी देने की मांग उठी। कानून तक को बदल दिया गया। ये होती है बेटी की ताकत, जिसके सामने दुनिया की कोई ताकत नहीं टिकती। बेटी की ताकत से बड़ा वोट की ताकत बताकर आपने सही अर्थ में लोकतंत्र को नीचा दिखाने का काम किया है। यही वजह है कि ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का अभियान चलाता देश इसे बेटी का अपमान मान रहा है।
“The integrity of a ballot is greater than a daughter,” Believe it applied on His own Daughter too ?
Sharad Yadav
Open your glass and check— Abhijit Chatterjee (@abhijitc4) January 25, 2017
So what !!
Sharad Yadav belongs to secular gang & seculars are free to say anything in India !!
Media should focus on Sakshi Maharaj !! https://t.co/0H83u3cRbD— seema choudhary (@Seems3r) January 25, 2017
Sharad Yadav says honour of vote above honour of daughters. This is why JDU honored RJD for votes compromising safety of Bihar’s Daughters.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) January 25, 2017
#SharadYadav didn’t deserve to sit in #Parliament.What a shameless politician he is.
— Ashok Shrivastav (@ashokshrivasta6) January 25, 2017
जब उल्टा पड़ा बयान, तो फिर वही तरीका सामने आया- “मेरे बयान को सही से समझा नहीं गया।“ शरद यादव अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं जिन्हें सही तरीके से समझा नहीं जाता। मानो दुनिया ही बेवकूफ हो। याद कीजिए जब शरद यादव ने दक्षिण भारतीय महिलाओं पर टिप्पणी की थी-
दक्षिण भारतीय महिलाओं को देखिए। वे सांवली होती हैं, लेकिन उनका शरीर खूबसूरत होती हैं। वे अच्छा डांस करती हैं।
लोकसभा में केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी पर तंज कसते हुए शरद यादव ने जो कुछ कहा था, उसे भुलाना भी किसी भारतीय के लिए मुश्किल होगा-
“मैं जानता हूं कि आप कौन हैं।“
राजनीतिक करने के लिए महिलाओं को हथियार बनाना क्या जरूरी है? बीजेपी को हराना है, तो किसी से गठजोड़ कीजिए, अलगाववादी नेताओं से भी चाहें तो मिलते रहिए…मगर बेटियों को राजनीति में मत धकेलिए। बेटियां राजनीति का अस्त्र-शस्त्र नहीं हैं जिनका इस्तेमाल कर आप अपनी सेकुलर मानसिकता वाले देश को बचाएंगे। लोग ऐसी सोच से आजाद हो रहे हैं- पहले और अब में फर्क तो समझ ही गये होंगे सेकुलरजी। ये देश मानने को तैयार नहीं है कि बेटी से बढ़कर भी कोई बड़ा होता है। बेटी ताकतवर होगी, देश ताकतवर होगा। बेटी बढ़ेगी, देश बढ़ेगा। इज्जत की चिंता आप कीजिए शरदजी, क्योंकि आप उघार हो चुके हैं।