नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी पास हो गया है। आइए आपको 8 बिंदुओं के माध्यम से बताते हैं कि इस विधेयक में क्या है और इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना के शिकार हो रहे गैर मुस्लिमों को किस प्रकार फायदा मिलने वाला है।
- नागरकिता संशोधन बिल पास होने के बाद अभ पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को भारत की नागरिकता आसानी से दी जा सकेगी।
- नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप ऐक्ट 1955 में बदलाव किया गया है। इस बदलाव के बाद अब उन गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी जो बीते एक साल से लेकर छह साल तक भारत में रह रहे हैं।
- वे राज्य जहां इनर लाइन परमिट (आइएलपी) लागू है और नॉर्थ ईस्ट के चार राज्यों में छह अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) से छूट दी गई है।
- सिटिजनशिप ऐक्ट 1955 के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने की अवधि 11 साल थी। अब इस नियम में ढील देकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से छह साल तक किया गया है।
- नागरिकता संशोधन बिल 2019 के जरिए अब पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को 11 साल के बजाए एक से छह वर्षों में ही भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
- सिटिजनशिप ऐक्ट 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती थी। इसमें उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हैं या उल्लेखित अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए थे। इन अवैध प्रवासियों को जेल हो सकती है या उन्हें उनके देश वापस भेजा जा सकता है।
- नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के जरिए केंद्र सरकार ने पुराने कानूनों में बदलाव करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई को इससे छूट दे दी है।
- यानी नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत गैर मुस्लिम शरणार्थी यदि भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी पाए जाते हैं तो उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा ना ही उन्हें निर्वासित किया जाएगा।